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पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ 'खुले युद्ध' की दी धमकी


पाकिस्तान अब अफगानिस्तान के साथ खुला युद्ध करने पर उतारू है। टोलो न्यूज ने बताया कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर इस्तांबुल में चल रही शांति वार्ता विफल होती है, तो इस्लामाबाद काबुल के साथ 'खुले युद्ध' में उतर जाएगा। इस्तांबुल में हो रही बैठकों का उद्देश्य हफ्तों से चल रही खूनी झड़पों और संघर्ष विराम उल्लंघनों के बाद अफगान-पाक सीमा पर विवाद और बढ़ते तनाव को सुलझाना है।

टोलो न्यूज के अनुसार, 'पत्रकारों से बातचीत में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हालांकि हाल के दिनों में कोई घटना या झड़प नहीं हुई है, लेकिन इससे यह संकेत मिलता है कि दोहा समझौता कुछ हद तक प्रभावी रहा है।' हालांकि, अफगानिस्तान सरकार के अधिकारियों ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की इन टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल दूसरे दौर की बातचीत के लिए तुर्किये में हैं। बातचीत का मुख्य विषय दोहा समझौते को लागू करना, सीमा पार हमलों को रोकना और विश्वास बहाली है।

टोलो न्यूज के अनुसार, इस वार्ता में चार मुख्य बिंदुओं पर चर्चा हो रही है। इसमें भविष्य में हिंसा को रोकने के लिए एक संयुक्त निगरानी प्रणाली का निर्माण, एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान सुनिश्चित करना, पिछले दो दशकों से पाकिस्तान के सुरक्षा मुद्दों की जड़ों को संबोधित करना और व्यापार प्रतिबंधों को हटाना शामिल है। वार्ता में अफगान शरणार्थियों के जबरन निर्वासन को रोकने और शरणार्थी मुद्दे को राजनीति से दूर रखने पर भी चर्चा होगी।

पाकिस्तान की पिछली दोहा वार्ता का नेतृत्व करने वाले आसिफ ने कहा कि सीमा पर स्थिति हाल ही में शांत रही है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कूटनीति विफल रही तो स्थिति तेजी से बदल सकती है।

यह बैठक कतर और तुर्की की संयुक्त मध्यस्थता में 18 और 19 अक्टूबर को दोहा में हुई वार्ता के पहले दौर के बाद हो रही है। इस दौरान, दोनों पक्ष कई दिनों तक सीमा पर हुई भीषण झड़पों के बाद 'तत्काल युद्ध विराम' पर सहमत हुए थे।

पिछले हफ्ते कतर ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर तीव्र संघर्ष के बाद 'तत्काल युद्ध विराम' पर सहमत हो गए हैं। कतर के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि तुर्किये में होने वाली अनुवर्ती वार्ता का उद्देश्य 'युद्ध विराम की स्थिरता सुनिश्चित करना तथा विश्वसनीय और टिकाऊ तरीके से इसके कार्यान्वयन की पुष्टि करना है।'

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