स्थानीय होटल वैभव में आयोजित की गई पत्रकार वार्ता में मामला उठा की नगर में बन रहे नाली का हो रहा है बंदर बाट।
सोनभद्र। पत्रकारों को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष कौशल शर्मा ने कहा कि नगर में जो नाले का निर्माण किया गया इसकी डीपीआर (विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन) ही संदिग्ध है डीपीआर किसी भी परियोजना का ब्लूप्रिंट खाका है जिससे उसकी उपयोगिता, लागत, लाभ, व्यवहारिता सिद्ध की जाती है डीपीआर रोड मैप की तरह काम करता है इसमें काम शुरू होने से लेकर पूरा होने तक की सभी प्रक्रियाएं समय सीमा जिम्मेदारियां एवं चरणवार कार्रवाई लिखी होती है। उन्होंने कहा कि उल्लेखनीय है कि नाले का यह यह प्रोजेक्ट बढौली चौराहे से लेकर इस नाले को हिंदवारी बेलन नदी में गिराना था लेकिन इस प्रोजेक्ट को डाइवर्ट कर दिया गया एवं नगर में बनाया गया नाला सफेद हाथी साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका क्षेत्र में नाली के गंदे पानी को सीधे पकरी जाने वाले नहर में गिराया जा रहा है जो अत्यंत बदबूदार है। यह पानी सिंचाई एवं पशुओं के पीने में उपयोग होता है जिससे संक्रामक बीमारियां भी फैल सकती है एवं पशु मर भी सकते हैं आदर्श नगरपालिका में गंदगी एवं जल जमाव के कारण मच्छर के लार्वा पनपने एवं संक्रामक रोग फैलने की पूरी पूरी आशंका बनी हुई है प्लाई ओवर के नीचे गंदगी का अंबार लगा है। श्री शर्मा ने कहा कि भारत में जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 के अनुसार बिना शोधन किए हुए अपशिष्ट को जल या नदी में गिराना कानूनी अपराध है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं। नगर की समस्या का निराकरण करने के बजाय लोगों का ध्यान भटका रहे हैं एवं स्थानीय लोगों को गुमराह किया जा रहा है। हर व्यक्ति अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरे के ऊपर फोड़ना चाहता है जबकि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि किसी भी योजना का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति को मिले। तमाम ऐसे भी घर है जिनका लेवल नाली के नीचे है उनके घर के पानी का निकास पीछे धकेल रहा है ऐसे में पानी का निकास कैसे संभव होगा।निर्माण के मापदंडों को पूरा नहीं किया गया नाले के नीचे गिट्टी की ढलाई भी नहीं की गई। बैठक में प्रमुख रूप से प्रितपाल सिंह, राजेश जायसवाल ,प्रशांत जैन, दिल करण सिंह, अमित जायसवाल आदि लोगों उपस्थित रहे।