छिबरामऊ/कन्नौज। नमाज़े मग़रिब मदरसा दारुल उलूम गौसिया सैयदवाड़ा छिबरामऊ में जुलूसे मुहम्मदी निकाले जाने को लेकर एक बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता हज़रत मौलाना मुस्तकीम अहमद क़ादरी ने की।
बैठक में जामा मस्जिद के पेश इमाम सय्यद फुरकान मिस्बाही समेत सभी मस्जिदों के इमाम व कमेटियों के ज़िम्मेदारान ने हिस्सा लिया। इस दौरान जुलूस को निकाले जाने को लेकर निम्नलिखित प्रस्ताव रखे गए।
तमाम आशिकाने रसूल को ईद मिलादुन्नबी की हज़ाराहा मुबारक हर साल की तरह इस साल भी जुलूस-ए-मोहम्मदी 5 सितम्बर 2025 बरोज़ जुमा सुबह 8 बजे मदरसा दारुल उलूम गौसिया सय्यदवाडा से अपनी पूरी शानों शौकत के साथ निकाला जायेगा । जिसको बेहतर बनाने के लिए छिबरामऊ के तमाम इमामों और मुअज़िज़ीन के ज़रिया जुलूस-ए-मोहम्मदी में शरीक होने वालों के लिए ज़रूरी हिदायात व आदाब ।विलादत की रात को अपने मोहल्ले की मस्जिद में इबादत करके गुज़ारें और नमाज़े फज्र को जमाअत के साथ अदा करें।बादे फ़ज़र नहाकर नये या साफ सफेद कपड़े पहनकर सुरमा और इत्र लगायें और सर पर अमामा बाधें।बादे फज्र से जुलूस मुकम्मल होने तक पान मसाला, बीड़ी, सिगरेट हरगिज़ न इस्तमाल करें।जुलूस में हसी-मज़ाक हरगिज़ न करें जब तक रहें सिर्फ अपने नबी पर दुरूद शरीफ पढ़ते रहें।
जुलूस में सिर्फ सरकार की आमद और आप की अज़मत के ही नारे लगायें और किसी के नारे न लगायें।जुलूस में डी.जे. और बड़े झण्डे या परचम हरगिज़ न लायें और माइक का इस्तमाल ज़्यादा करें।
जुलूस में चलते बक्त एक दूसे से आगे निकलने की हरगिज़ कोशिश न करें।जुलूस में झण्डा या परचम इतना छोटा लाऐं के जिसको एक या दो आदमी आसानी से लेकर चल सकें।जुलूस में यह नियत होना चाहिए कि हम नबी की मोहब्बत में आऐं हैं न कि दिखवा करने के लिये।जुलूस में अपने उलेमा और अइम्माएकिराम और काएदीने जुलूस कि रहनुमाई और हिदयात को ज़रूर माने ।जूलूस में पानी बैठकर पिऐं और शीरीनी भी बैठकर ही खाऐं और सुन्नतें रसूल ज़िन्दा करें।जुलूस में दूसरों के नारे और इख्तलाफी नारे हरगिज़ न लगायें।जुलूस के जरिए किसी को परेशानी न होने दें जैसे राहगीर, मुसाफिर बीमार, औरतें और बूड़े।जुलूस-ए-मोहम्मदी को मिसाली बनायें रस्मी नहीं अगर आप लोग अपने नबी की मोहब्बत में निकले हैं तो आपके हर अमल से मोहब्बत और बफादारी का इज़हार होना चाहिए।जुमा का दिन होने के कारण जुमे की नमाज़ की जमात दोपहर 2 बजे होगी।