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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और किम जोंग की बैठक को लेकर अमेरिका से यूरोप तक हड़कंप


चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच हाल ही में बीजिंग में बृहस्पतिवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग, रणनीतिक साझेदारी, और वैश्विक मुद्दों पर एकजुट रुख अपनाने का संकल्प लिया। यह बैठक चीन की राजधानी बीजिंग स्थित 'ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल' में आयोजित हुई थी, जिसमें दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे। खास बात यह रही कि यह मुलाकात उस सैन्य परेड के अगले दिन हुई, जिसमें किम जोंग उन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य विदेशी नेताओं के साथ भाग लिया था।

चीनी सरकारी मीडिया सीसीटीवी के अनुसार, शी जिनपिंग ने इस बैठक के दौरान चीन और उत्तर कोरिया के बीच 'पारंपरिक मित्रता' को रेखांकित किया और कहा कि चाहे अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां जैसी भी हों, यह मित्रता अडिग रहेगी। शी ने स्पष्ट रूप से कहा, “अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य चाहे जितना भी बदल जाए, चीन-उत्तर कोरिया संबंधों की दिशा और गति नहीं बदलेगी। हमारा समर्थन और सहयोग जारी रहेगा।” वहीं, उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी (KCNA) ने बताया कि दोनों नेताओं ने उच्च-स्तरीय यात्राओं, प्रत्यक्ष संवाद, और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति जताई। उन्होंने यह भी चर्चा की कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में अपने साझा हितों की रक्षा के लिए मिलकर कार्य करेंगे।

उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिकी दुश्मनों की हिटलिस्ट में आते हैं। ऐसे में इन दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के साथ चीन, उत्तर कोरिया, रूस, ईरान और तुर्की के बीच मजबूत होते गठजोड़ से अमेरिका से यूरोप तक हलचल मच गई है। नाटो के महासचिव मार्क रूट ने इस गठबंधन को अमेरिका समेत पूरे पश्चिम और यूरोप के लिए नई चिंता और खतरा बताया है।

इससे पहले किम जोंग उन ने रूस का दौरा किया था, जहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात की थी। इसके बाद वे चीन पहुंचे और शी जिनपिंग के साथ यह महत्वपूर्ण बैठक की। किम ने बीजिंग में आयोजित चीनी सैन्य परेड में भी भाग लिया, जिससे यह संदेश गया कि उत्तर कोरिया, चीन और रूस के बीच रणनीतिक सहयोग को एक नई गति दी जा रही है। बैठक के बाद, किम जोंग उन बृहस्पतिवार को शाम अपनी विशेष ट्रेन से उत्तर कोरिया के लिए रवाना हो गए।

इस बैठक ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को सतर्क कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि चीन-उत्तर कोरिया और रूस के बीच बढ़ती निकटता पश्चिमी देशों के रणनीतिक हितों के लिए चुनौती बन सकती है, खासकर उस समय जब यूक्रेन युद्ध, दक्षिण चीन सागर विवाद और कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव पहले से ही उच्च स्तर पर है।

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