रुद्रपुर। पिथौरागढ़ उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 2014 में मासूम बच्ची के साथ हुए दिल दहला देने वाले दुष्कर्म और हत्या के मामले ने एक बार फिर पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। इस जघन्य अपराध के आरोपी अख्तर को सुप्रीम कोर्ट से बरी कर दिए जाने के बाद जनता में गुस्से की लहर दौड़ गई है।
नन्हीं कली के साथ दरिंदगी और फिर उसकी निर्मम हत्या जैसे अमानवीय कृत्य के 11 साल बाद भी पीड़िता के परिवार को न्याय नहीं मिला। प्रदेशवासियों का कहना है कि “अगर सुप्रीम कोर्ट भी दोषी को सजा नहीं दे सकता तो मासूमों की सुरक्षा किसके भरोसे है?”
दिसंबर 2014 की ठंडी रात पिथौरागढ़ में मासूम के साथ हुई घटना ने पूरे उत्तराखंड को हिला दिया था। पुलिस ने जांच कर आरोपी अख्तर को गिरफ्तार कर जेल भेजा। निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट ने सजा सुनाई, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से आरोपी के बरी होने पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश भर में आक्रोश देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर “मासूम परी को इंसाफ दो” अभियान जोर पकड़ रहा है। कई संगठनों ने ऐलान किया है कि यदि मासूम को न्याय नहीं मिला तो सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक बच्ची की नहीं, बल्कि पूरे समाज की लड़ाई है। यदि ऐसे मामलों में दोषी बरी होते रहे, तो समाज में मासूमों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
