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देश की सुरक्षा से जुड़े ऐसे गंभीर मुद्दों पर संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए-मनीष तिवारी


संसद के मानसून सत्र में पहलगाम हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में चर्चा शुरू हुई. इस दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया, लेकिन दिग्गज नेता मनीष तिवारी और शशि थरूर को इस मुद्दे पर बोलने का मौका नहीं मिला.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश गए प्रतिनिधिमंडल में थरूर, तिवारी और अमर सिंह शामिल थे, लेकिन बहस में बोलने वालों की सूची में इन्हें शामिल नहीं किया गया.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस संसदीय दल में लगभग 100 सदस्य हैं और उनमें से कई इस विषय पर बोलना चाहते थे. मैं भी उनमें से एक था, लेकिन पार्टी ने तय किया कि संसद में पार्टी का प्रतिनिधित्व कौन करेगा. शायद उन्हें लगा कि मैं प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता. मुझे इस पर कोई शिकायत या अफसोस नहीं है.

कांग्रेस सांसद ने कहा, “मैं 45 साल से कांग्रेस में हूं. मेरी पूरी ज़िंदगी कांग्रेस में ही बीती है. वैचारिक रूप से मैं मानता हूं कि इस देश के लिए कांग्रेस जरूरी है. इस महान संगठन को आगे बढ़ाने के लिए पूरी निष्ठा और वैचारिक मजबूती वाले लोगों की जरूरत है.”

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ऑपरेशन सिंदूर के उद्देश्यों को लेकर संसद में गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि विषम युद्ध का जवाब केवल परंपरागत तरीकों से देना पर्याप्त नहीं है और इससे वास्तविक रोकथाम स्थापित हो रही है या नहीं, यह अहम है.

मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि परमाणु हथियारों के माहौल में परंपरागत जवाब देना कितना सुरक्षित है, इसे भी देखना जरूरी है. उन्होंने चेतावनी दी कि जब संघर्ष की सीढ़ी पर चढ़ाई होती है और वापसी के विकल्प मौजूद नहीं होते, तो दक्षिण एशिया और उसके बाहर के परमाणु माहौल में सीमा तय करना मुश्किल हो जाता है.

सांसद ने कहा कि असली सवाल यह है कि क्या परंपरागत जवाब इतना प्रभावी है कि अगले आतंकी हमले को रोका जा सके. यह कोई हाँ या नहीं में उत्तर देने वाला मुद्दा नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की सुरक्षा से जुड़े ऐसे गंभीर मुद्दों पर संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए.

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