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Sonebhadra: 9 माह पूर्व हुए मनीष कुमार हत्याकांड के मामले में दम्पति समेत तीन के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश।

सीओ ने जांच में डूबकर मरने की आख्या दी थी कोर्ट में ,चोपन थाना क्षेत्र के बेलछ गांव के टोला अकेलवा का मामला।

सोनभद्र। करीब 9 माह पूर्व हुए मनीष कुमार हत्याकांड के मामले में सीजेएम आलोक यादव की अदालत ने दम्पति समेत तीन लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर विवेचना का आदेश चोपन थानाध्यक्ष को दिया है। साथ ही विवेचना के परिणाम से न्यायालय को अवगत कराने का आदेश दिया है। उक्त आदेश चोपन थाना क्षेत्र के बेलछ टोला अकेलवा गांव निवासी अर्जुन प्रसाद पुत्र स्वर्गीय रजई द्वारा अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद सिंह के जरिए दाखिल धारा 173(4)बीएनएसएस के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिया है।
कोर्ट में 16 नवंबर 2024 को दाखिल प्रार्थना पत्र में अर्जुन प्रसाद ने अवगत कराया है कि उसका बेटा मनीष कुमार डाला प्लांट में 11 अक्तूबर 2024 को काम करने सायं 4 बजे घर से निकला था। गांव का सुदेश्वर पुत्र राम अधार उसके घर आया था और सुदेश्वर के कहने पर उसका बेटा मनीष कुमार रास्ते से ही सुदेश्वर के घर चला गया। जब बेटा घर वापस नहीं आया तो प्लांट पर पता किया तो पता चला कि उसका बेटा मनीष कुमार नहीं आया है। काफी तलाश करने के बाद भी जब बेटा मनीष कुमार का पता नहीं चला तो सुदेश्वर के घर गया तो सुदेश्वर ने सही बात बताने से इनकार कर दिया। उसके बाद बेटे मनीष की मोबाइल पर कई बार फोन किया, घण्टी जा रही थी लेकिन फोन नहीं उठा। इसीबीच 14अक्तूबर 2024 को सुबह 8 बजे  सूचना मिली कि बेटे मनीष की लाश नाले में पड़ी है। सिर्फ अंडरवियर के अलावा शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। आसपास भी कपड़ा जूता, मोजा, मोबाइल नहीं था। पुलिस मौके पर पहुंच कर शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। काफी दूर सुदेश्वर की पत्नी सिताबी देवी की शाल व साड़ी का आधा भाग बेडशीट में लपेटा दिखाई दिया। जिससे पूर्ण विश्वास है कि बेटे मनीष की हत्या गांव के सुदेश्वर पुत्र राम अधार, सिताबी देवी पत्नी सुदेश्वर व सुदेश्वर का दामाद रमेश निवासी गिरिया, थाना पन्नूगंज, जिला सोनभद्र ने साजिश के तहत किया है। इसकी सूचना कई बार थाने दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। जहां बेटे की लाश बरामद हुई है उस नाले में 2फीट से ज्यादा पानी ही नहीं है जिससे डूबकर मर सके। इसकी सूचना 5 नवंबर 2024 को एसपी सोनभद्र को रजिस्टर्ड डाक से दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट ने इस मामले में सीओ से प्रारंभिक जांच आख्या मांगा तो जो सीओ ने आख्या कोर्ट में दी है उसमें मनीष की मौत डूबने से होना दर्शाया गया है। 
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने माना कि मृतक की मोबाइल की बरामदगी न होने, मोबाइल गायब होने, मृतक का केवल अंडरवियर में लाश मिलना प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध किए जाने का संकेत देता है। इसके अलावा सीओ की जांच आख्या में मोबाइल व कपड़ों की कोई भी जांच किए बिना ही आख्या प्रस्तुत की गई है। मृतक के मोबाइल की जांच सभी कई साक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। अतः मामले की विवेचना आवश्यक है। कोर्ट ने चोपन एसओ को एफआईआर दर्ज कर विवेचना करने व कृत कार्यवाही से न्यायालय को अवगत कराने का आदेश दिया है।

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