रामनगर/बाराबंकी। तहसील रामनगर के गणेशपुर बांध के पास स्थित गांव इन दिनों घाघरा नदी के रौद्र रूप से डरे-सहमे हैं। नेपाल से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी के कारण नदी का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ने लगा है। मंगलवार को यह दर 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे रही, जबकि बुधवार दोपहर तक जलस्तर 105.790 मीटर पर दर्ज किया गया और फिलहाल यह हर घंटे 1 सेंटीमीटर की गति से बढ़ रहा है।गणेशपुर स्थित प्रसिद्ध ठाकुरद्वारा मंदिर के सामने तक नदी का पानी पहुंच चुका है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। वहीं दूसरी ओर, खेतों में पानी भरने से सैकड़ों बीघा कृषि योग्य भूमि जलमग्न हो गई है। धान, बाजरा और सब्जियों की फसलें पूरी तरह बर्बाद होने लगी हैं। यह स्थिति किसानों के लिए किसी सपने के टूटने जैसी हो गई है।अब खेत नहीं, सिर्फ पानी है वहा ,जहां कभी हरियाली लहराती थी ।यह कहते हुए नारायण गुप्ता की आंखें भर आईं, जिनके खेत तक जाने वाला चक मार्ग भी अब जल में डूब चुका है। उनके जैसे सैकड़ों किसानों को अब आजीविका की चिंता सताने लगी है।ग्रामीणों में फातिमा, शिवकुमार रावत और दिनेश रावत ने बताया कि यदि जलस्तर इसी गति से बढ़ता रहा, तो मंदिर परिसर के साथ-साथ रिहायशी इलाकों में भी पानी घुसने लगेगा। गांवों में पशुपालकों ने मवेशियों को लेकर ऊंचे स्थानों की ओर पलायन शुरू कर दिया है, लेकिन चारे की किल्लत और सुरक्षित ठिकानों की कमी नई मुसीबत बन गई है।
ग्रामीणों का सबसे बड़ा गुस्सा प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर है। अब तक कोई राहत या बचाव शिविर नहीं लगाए गए हैं, न ही नावों या मेडिकल सहायता की व्यवस्था की गई है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।केंद्रीय जल आयोग के जूनियर इंजीनियर मुस्तकीम ने बताया कि सरयू (घाघरा) नदी का जलस्तर बुधवार दोपहर 12 बजे 105.790 मीटर दर्ज किया गया है और इसके रात तक अस्थाई रूप से खतरे के निशान को पार करने की आशंका है।
अब यह संकट सिर्फ पानी का नहीं, भरोसे और जीवन का बनता जा रहा है।प्रशासन अगर अब भी नहीं चेता, तो घाघरा की यह चुपचाप बढ़ती लहरें आने वाले दिनों में किसी बड़ी त्रासदी का संकेत बन सकती हैं। ग्रामीणों की एक ही पुकार है ,हमें अब सिर्फ मदद चाहिए, इससे पहले कि देर हो जाए।