मुहम्मदाबाद युसुफपुर/गाजीपुर।बुधवार की सुबह ग्राम रसूलपुर हकीम के अभय कुमार बिंद के जीवन में ऐसा काला अध्याय लेकर आई, जिसकी टीस उम्र भर बनी रहेगी। तिवारीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उनकी पत्नी रंभा बिंद को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था। उम्मीद थी कि घर में किलकारी गूंजेगी, लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने उस किलकारी को एक चीख में बदल दिया। नवजात शिशु ने जन्म लेते ही दम तोड़ दिया।
अभय कुमार की आंखों में आंसू और आवाज में गुस्सा था। उन्होंने बताया कि जब वे अस्पताल पहुंचे, तब वहां कोई महिला डॉक्टर मौजूद नहीं थी। मजबूरी में स्टाफ नर्स ने प्रसव कराना शुरू किया। इस दौरान रंभा की तबीयत बिगड़ने लगी। परिजनों ने जब अस्पताल प्रशासन को स्थिति की गंभीरता बताई, तब भी कोई ठोस पहल नहीं की गई। इलाज के अभाव और बेरुखी की बर्फ में लिपटी इस लापरवाही ने उस मासूम की सांसें छीन लीं, जिसने अभी दुनिया देखी भी नहीं थी।
जैसे ही यह हृदयविदारक समाचार गांव में पहुंचा, ग्राम प्रधान जोगी बिंद और अरुण बिंद के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। लोग अस्पताल परिसर में जमा हो गए। गुस्से से भरे लोगों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए दोषी स्वास्थ्य कर्मियों के तत्काल निलंबन की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है, जब ऐसी लापरवाही हुई है। इससे पहले भी कई दर्दनाक घटनाएं घट चुकी हैं, लेकिन हर बार व्यवस्था ने केवल आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया।
अस्पताल परिसर मातम, आक्रोश और असहायता के बीच गूंजता रहा। एक मां की गोद सूनी हो गई, एक पिता का सपना टूट गया, और पूरा गांव इंसाफ की गुहार लगाता रहा।
इस मामले में अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशीष राय ने कहा कि घटना बेहद गंभीर है और उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। दोषी पाए जाने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं है, बल्कि एक चेतावनी हैकृउन सभी लोगों के लिए जो सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा करते हैं। सवाल वही हैरू क्या किसी की मौत ही सिस्टम को जगाने के लिए काफी है?
जब तक जवाबदेही तय नहीं होती, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और मासूम सांसें यूं ही बुझती रहेंगी।