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मुसाफिरखाना: भनौली में गमगीन माहौल में निकला आशूरा का जुलूस


मुसाफिरखाना/अमेठी। तपती दोपहर, उमस भरी गर्मी और अजादारों के लबों पर ष्या हुसैन... या हुसैनष् की गूंज। मुसाफिरखाना के भनौली गांव में 10 मोहर्रम को कर्बला के शहीदों की याद में अकीदत और गम का सैलाब उमड़ पड़ा। इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में एक जुलूस निकाला गया। यह जुलूस बड़े इमामबाड़े से निकलकर जामा मस्जिद इमामबाग पहुंचा, जहां नमाज अदा की गई। नमाज के बाद जुलूस वापस बड़े इमामबाड़े पहुंचा, जहां अंजुमन सिपाहे हुसैनी के नौजवानों ने परंपरागत जंजीर जनी करते हुए बीबी फातेमा जहरा को उनके लाल का पुरसा पेश किया। इसके बाद मौलाना अली मोहम्मद ने एक तकरीर की। जिसमें उन्होंने कर्बला की वीरानियों का दर्द बयान किया। इसके बाद जुलूस छोटे इमामबाड़े पहुंचा, जहां मौलाना मूसवी रजा झारखंडी ने एक और तकरीर की। जुलूस मेंहदीखाना होते हुए दरगाह आलिया हजरत अब्बास पहुंचा, जहां मौलाना जवाद असगर जैदी ने तकरीर करते हुए कर्बला के दर्दनाक वाकयों का जिक्र किया। इसके बाद जुलूस बीएसएनएल एक्सचेंज पहुंचा, जहां मौलाना डॉ. अबूजर अली ने तकरीर किया और लोगों को इमाम हुसैन का पैगाम दिया। अजादारी का यह कारवां अपने तयशुदा रास्ते से होता हुआ कर्बला पहुंचा, जहां नम आंखों से ताजिया को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जुलूस के अंत में समाजसेवी इकबाल हैदर ने फाका शिकनी का इंतजाम किया। अजादारों और स्थानीय लोगों ने जुलूस में भारी तादाद में शिरकत कर शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया। जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस प्रशासन पूरी तरह से चैकन्ना और मुस्तैद रहा। मुसाफिरखाना नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश कुमार अग्रहरि की निगरानी में जुलूस मार्ग की व्यवस्था को चाकचैबंद बनाया गया था। गौरतलब है कि 10 मोहर्रम, जिसे आशूरा कहा जाता है, इस्लामी इतिहास का वह दिन है जब कर्बला की जंग में इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों को यजीदी फौज ने भूखे-प्यासे शहीद कर दिया था। इस शहादत की याद में पूरी दुनिया में शिया समुदाय गम और मातम मनाता है।

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