लखनऊ। एक ओर जहाँ समाज के एक तबके के लिए देवशयनी एकादशी उपवास और धर्म-कर्म का पर्व है, वहीं दूसरी ओर इण्डियन हेल्पलाइन सोसाइटी (रजि.) द्वारा संचालित बृज की रसोई ने इस पावन अवसर पर इसे जरूरतमंदों की सेवा का माध्यम बना दिया। संस्था ने लखनऊ के आशियाना क्षेत्र की मलिन बस्तियों और झुग्गी-झोपड़ियों में निवास कर रहे सैकड़ों गरीब, असहाय, निराश्रित बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को निरूशुल्क पौष्टिक भोजन वितरित कर एक संवेदनशील मिसाल कायम की।
संस्थापक विपिन शर्मा ने कहा, देवशयनी एकादशी पर अन्न, जल और ताजे फलों का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इसी सोच के साथ बृज की रसोई ने भूख से जूझ रहे परिवारों को सम्मानपूर्वक भोजन देने का संकल्प लिया।
मीडिया प्रभारी दीपक भुटियानी ने बताया इस सेवा अभियान के तहत भोजन वितरण सेक्टर-एम रिक्शा कॉलोनी, रतन खंड, अंबेडकर विश्वविद्यालय के पास की झुग्गियाँ, निर्माणाधीन शिक्षण संस्थान में काम कर रहे श्रमिकों के अस्थायी निवास, जोन-8 की मलिन बस्तियाँ, तथा रतनखंड पानी टंकी क्षेत्र में विशेष रूप से किया गया।
संस्था की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष श्रीमती रजनी शुक्ला ने बताया कि सेवा वितरण का यह कार्य पूरी व्यवस्था और समर्पण के साथ सम्पन्न हुआ।
विकास पाण्डेय ने कहा अभियान की सफलता में दीपक भुटियानी, संजय श्रीवास्तव, उमाशंकर, आशीष श्रीवास्तव, अनुराग दुबे, सूरज पाण्डेय, मुकेश कनौजिया, नवल सिंह, गीता प्रजापति, संस्था की राष्ट्रीय महिलाध्यक्ष रजनी शुक्ला सहित कई युवा स्वयंसेवकों ने भरपूर भागीदारी निभाई।
आशीष श्रीवास्तव ने बताया हर स्थान पर बच्चों की मुस्कराती आंखें, महिलाओं की दुआएं और बुजुर्गों का आशीर्वाद इस सेवा प्रयास की सार्थकता का प्रमाण बने। अनुराग दुबे ने कहा बच्चों को स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भोजन में सब्जी, चावल, फल, खिलौने, कॉपी, किताब आदि वितरित किया गया, जिससे न सिर्फ उनके पेट भरे बल्कि दिल भी भर आया।
गीता प्रजापति कहती है बृज की रसोई का उद्देश्य सिर्फ भोजन देना नहीं, बल्कि आत्मसम्मान के साथ भोजन उपलब्ध कराना है। संस्था ने इस अवसर पर समाज के जागरूक नागरिकों से आगे आकर ऐसे सेवा प्रयासों में सहभागी बनने की अपील भी की।
संजयश्रीवास्तव ने कहा भविष्य में भी यह सेवा अभियान प्रत्येक रविवार को जारी रहेगा। इच्छुक दानदाता फत् कोड के माध्यम से ऑनलाइन योगदान कर सकते हैं, जिससे उन्हें 80ळ के तहत आयकर में छूट भी प्राप्त होगी।
सेवा ही सबसे बड़ा धर्म हैदृ इसी आदर्श के साथ बृज की रसोई निरंतर गरीब, बेसहारा और जरूरतमंदों के बीच आशा और अन्न की किरण बन रही है।