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लखनऊ: बुद्धेश्वर मंदिर बना राजनीति का अखाड़ा! महंत रामू पुरी एवं राम अवतार पुरी ने लगाया मंदिर की भूमि कब्जा करने का आरोप , उप जिलाधिकारी ने कहा -अभी किसी प्रकार की कमेटी का गठन नहीं


लखनऊ । पौराणिक विख्यात धार्मिक स्थल बुद्धेश्वर महादेव मंदिर राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है बुद्धेश्वर बाबा के नाम पर बनी संस्था एवं मंदिर के महंत पुजारी आमने-सामने हैं कभी पुजारियों पर नशा करने व्याभिचार  करने अराजकता फैलाने का आरोप लगता हैतो कभी पुजारियों द्वारा आरोप लगाने वालों को कटघरे में खड़ा करते हुए उन पर मंदिर  की भूमि कब्जा करने सौंदर्यीकरण एवं निर्माण कार्य के नाम पर राजनीति करने तथा अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए जाते हैं पुजारी का कहना है हमारा राजनीति से दूर तक कोई वास्ता नहीं हम भोले बाबा के सेवक हैं रामावतार पूरी स्पष्ट रूप से बताते हैं यह मेरी जन्मभूमि है अराजक तत्वों ने इसी प्रकार की अराजकता कर पूर्व महंत की हत्या करवा दी थी आसपास की तमाम जमीनों पर अवैध कब्जे हैं । वही लोग अपना हम लोगों को भगाकर अथवा प्रताड़ित कर पुनः मंदिर पर कब्जा करना चाहते हैं। किसने दी मछली पालने की इजाजत सीता सरोवर कुंड में मछली मारे जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कोई भी हिंदू व्यक्ति मंदिर परिसर में जीव की हत्या करने का पाप नहीं कर सकता यह एक मानवीय भूल हो सकती है इसके बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कुछ लोग इस सरोवर में मछली पालन का व्यवसाय कर रहे हैं सरोवर में जमी हुई काई को हटाने के लिए उसमें ब्लीचिंग जैसे  अन्य केमिकल पदार्थ का प्रयोग किया गया जिसकी मात्रा अनुपात से अधिक होने के कारण मछलियों का जीवन  खतरे में आ गया । मंदिर के दोनों पुजारी इस मामले की विस्तृत जांच कराने की मांग करते हुए इस बिंदु पर जोर देते हैं जब मंदिर परिसर   सरकार के स्वामित्व अंतर्गत उप जिलाधिकारी के  संरक्षण में  चल रहा है तो क्या सक्षम अधिकारी से मछली पालन की अनुमति ली गई  । वहीं उपस्थित जनों ने उनकी इस बात की तस्दीक करते हुए बताया प्राकृतिक रूप से 150 मछलियां हो सकती हैं यहां पर कोई नदी प्रवाहित नहीं हो रही एक पंप द्वारा पानी इसमें भरा जाता है मछली उत्पादन के प्रयासों बिना इतनी बड़ी संख्या में मछलियों का उत्पादन यहां पर नहीं हो सकता है इससे यह बात सिद्ध होती है कि अवैध रूप से मछली पालन का व्यवसाय चल रहा था। अभी किसी प्रकार का कोई कमेटी गठन का प्रस्ताव नहीं। वाद विवाद के बीच अक्सर शासन प्रशासन तक शिकायतें पहुंचने के क्रम मे एवं अन्य लोगों द्वारा मंदिर संचालन समिति गठन के पुरजोर प्रयास भी किया जा रहे हैं  इस संबंध में विधान केसरी संवाददाता से उप जिलाधिकारी सदर ने बताया अभी हमारा सारा ध्यान श्रावण मेले को सकुशल संपन्न कराने पर है।



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