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बेलगावी विवाद: एएसपी नारायण बरमानी ने मांगा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति


कर्नाटक के बेलगावी में इस साल अप्रैल में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कथित रूप से अपमानित किए जाने के बाद एएसपी नारायण बरमानी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन दिया है. यह घटनाक्रम अब एक राजनीतिक भूचाल में बदल चुका है. दरअसल 28 अप्रैल 2025 को बेलगावी में कांग्रेस की रैली के दौरान, जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मंच से भाषण दे रहे थे, उस दौरान बीजेपी महिला मोर्चा की कुछ कार्यकर्ताओं ने मंच के पास काले झंडे दिखाकर विरोध किया. मंच की सुरक्षा ASP बरमानी के अधीन थी. प्रदर्शन को उनके स्टाफ ने तुरंत नियंत्रित कर लिया.

सीएम ने गुस्से में मंच से चिल्लाते हुए पूछा, “यहां SP कौन है?” ASP बरमानी तुरंत स्पष्टीकरण देने मंच पर पहुंचे. तभी सीएम ने गुस्से में हाथ उठाया मानो थप्पड़ मारने जा रहे हों, हालांकि खुद को रोक लिया. यह पूरा वाकया कैमरे में कैद हुआ और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. बरमानी ने VRS मांगते हुए, अपने पत्र में लिखा कि उन्होंने 31 साल तक वर्दी को अपनी मां जैसा मानकर सेवा की. उस दिन उन्होंने कोई गलती नहीं की थी, फिर भी मुख्यमंत्री की तरफ से सार्वजनिक रूप से उन्हें अपमानित किया गया. घटना के बाद वे मानसिक रूप से टूट गए.उन्होंने बताया कि सीएम या किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने न तो माफी मांगी, न ही कोई नैतिक समर्थन दिया. “जब मैं वर्दी पहनता हूं, तो ऐसा लगता है कि किसी और की गलती की सज़ा मैं भुगत रहा हूं,” उन्होंने लिखा.

बरमानी ने कहा कि यह अपमान सिर्फ उनका नहीं, बल्कि हर ईमानदार और सेवाभावी अधिकारी का है और वे मुख्यमंत्री के व्यवहार के विरोध में VRS ले रहे हैं. इस बीच इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक जंग मानो शुरू हो गई है. जेडीएस ने X पर लिखा कि सिद्धारमैया सरकार की हिटलरशाही से तंग आकर अधिकारी VRS ले रहे हैं. CM की तरफ से मंच पर ASP बरमानी पर हाथ उठाना पूरे देश में चर्चा का विषय बना. यह अपमान असहनीय है. बीजेपी सांसद लहर सिंह सिरोया ने सीएम से इस्तीफे की मांग की है. लहर सिंह ने कहा कि लोहियावाद की बातें करने वाले सिद्धारमैया फासिस्ट नीति अपना रहे हैं. संविधान की दुहाई देने वाले खुद सार्वजनिक मंच पर लोक सेवकों का अपमान कर रहे हैं. उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.उधर मामले को बढ़ता देख गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वर ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है. हमने अधिकारी से बात की है. उन्हें नई पोस्टिंग दी जाएगी. CM सिद्धारमैया का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था.

कांग्रेस नेता रिजवान अरशद ने कहा कि अगर ASP को इतना दुख था, तो उन्होंने उसी समय इस्तीफा क्यों नहीं दिया? CM ने थप्पड़ नहीं मारा था. यह मामला अब प्रशासनिक प्रणाली, वर्दीधारी अधिकारियों की गरिमा, और राजनीतिक दबाव में काम करने वाले अधिकारियों के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है. ASP बरमानी का मामला अब न सिर्फ एक अफसर के सम्मान का, बल्कि राज्य में प्रशासनिक नैतिकता और राजनीतिक शालीनता की परीक्षा बन गया है.

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