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मुहर्रम के लिए तैयार किए गए आग के घेरे में गिरा हनुमंत नाम का शख्स, हुई मौत


कर्नाटक के रायचूर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के यारागुंटी गांव में मुहर्रम के लिए तैयार किए गए आग के घेरे में एक 40 साल का शख्स गिर गया और उसकी मौत हो गई। शख्स की पहचान हनुमंत के रूप में हुई है। दरअसल जैसे ही ये घटना घटी तो घायल को लिंगसुगुर सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह बच नहीं सका और उसे मृत घोषित कर दिया गया। ये जानकारी लिंगसुगुर पुलिस ने दी है।

बिहार के दरभंगा जिले में भी मुहर्रम के मौके पर दर्दनाक हादसा हो गया। यहां मुहर्रम के जुलूस के दौरान हाईटेंशन तार से ताजिया टकरा जाने से उसमें करंट दौड़ गया। इस हादसे में कुल 24 लोग घायल हो गए हैं। वहीं एक व्यक्ति की मौत भी हो गई।

मुहर्रम इस्लाम धर्म के शिया समुदाय द्वारा मुख्य रूप से इमाम हुसैन इब्न अली, जो पैगंबर मुहम्मद के नाती थे, की शहादत की याद में मनाया जाता है। यह इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने, मुहर्रम, के दसवें दिन (आशूरा) पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की 680 ईस्वी में कर्बला (आधुनिक इराक) में यज़ीद की सेना द्वारा शहादत दी गई थी। यह घटना शिया मुसलमानों के लिए बलिदान, अन्याय के खिलाफ संघर्ष और सत्य की रक्षा का प्रतीक है।

मुहर्रम के दौरान, शिया समुदाय मातम (शोक) मनाते हैं, जिसमें जुलूस, मजलिस (धार्मिक सभाएं), और ताज़िया निकाले जाते हैं। कुछ लोग रोज़ा रखते हैं और दान-पुण्य करते हैं। सुन्नी मुसलमान भी मुहर्रम को सम्मान देते हैं, लेकिन उनके लिए यह उतना गहन शोक का अवसर नहीं है। इसके अलावा, मुहर्रम की दसवीं तारीख (आशूरा) को कुछ मुसलमान हजरत मूसा द्वारा फिरऔन से मुक्ति की याद में भी रोज़ा रखते हैं।

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