बाराबंकी। सावन मास की नागपंचमी पर रविवार को मंजीठा स्थित नागदेवता मंदिर आस्था और श्रद्धा का केंद्र बन गया। सूरज की तपन और उमस भरी गर्मी के बावजूद श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे। हाथों में पूजा की थाली, नजरों में विश्वास और हृदय में श्रद्धा लिए भक्तों ने नागदेवता की बांबी पर दूध-चावल चढ़ाकर पूजन-अर्चन किया।सावन की पावनता और नागदेवता की आराधना के मेल से जुड़ा यह मेला जनमानस की गहराई से जुड़ा है। भक्तों का मंदिर में देरशाम तक आना-जाना लगा रहा। महिलाओं की संख्या इस बार भी सबसे अधिक रही। कई महिलाएं बच्चों को गोद में लिए, तो कुछ परिवार संग ट्रैक्टर-ट्रॉली पर बैठकर मंदिर पहुंचीं।
मंदिर परिसर के बाहर सजी दुकानों और झूलों ने बच्चों की खुशियों में चार चांद लगा दिए। कहीं खिलौनों की खनक थी, तो कहीं चाट पकौड़ी की खुशबू। बच्चे जहां झूलों में झूमते रहे, वहीं सपेरों के पास बैठे नागों को देखने की उत्सुकता ने माहौल को और भी जीवंत कर दिया।शाम होते-होते बच्चों ने पारंपरिक रूप से गुड़िया पीट कर नागपंचमी का उत्सव मनाया, जिससे पर्व की सांस्कृतिक छवि और अधिक निखर उठी।
नागपंचमी का यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि लोक आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक बन गया है। देरशाम तक मंदिर परिसर में श्रद्धा के दीप जलते रहे और जय नागदेवता के जयकारों से आकाश गूंजता रहा।
