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प्रतापगढः लोक भारती गत 30 वर्षों से जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक कृषि पर कर है कार्य - बृजेन्द्र पाल सिंह


प्रतापगढ़। जिले की प्रमुख नदी सई से मिलने वाली एक अत्यंत पौराणिक नदी रामरज के पुनरोद्धार हेतु  लोक भारती नें दो दिवसीय रामरज नदी यात्रा की। यात्रा सई एवं रामरज के संगम स्थल से प्रारम्भ हुई जहाँ स्थानीय लोगों की उपस्थित में मंत्रोचार एवं विधि विधान  से हरिशंकरी रोपित करते हुए हनुमान चालीसा का  पाठ करते हुए जल संकल्प के साथ प्रारम्भ हुआ। यात्रा में नदी के किनारे के समस्त ग्राम सभाओं में स्थानीय लोगों की उपस्थित में  हरिशंकरी रोपण एवं जलसंकल्प कार्यक्रम के साथ नदी की भौगोलिक स्थितियों का अध्ययन किया गया। इस दौरान यात्रा के तृतीय पड़ाव लोहंगपुर के घोरहा तट पर योजना के अनुरूप स्थानीय लोगों की उपस्थित में लोक भारती की केंद्रीय अधिकारियों एवं संघ के विभाग की गरिमामयी उपस्थित में यात्रा का मार्गदर्शन किया गया। इस दौरान लोक भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह नें नदी के प्रवाह का अध्ययन किया और उपस्थित सभी को सम्बोधित करते हुए उन्होंने प्रकृति के संतुलन हेतु लोक भारती की महति भूमिका से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि लोक भारती गत 30 वर्षों से जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक कृषि पर अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य कर रही है जिसमें शासन और प्रशासन कि सहभागिता से प्रदेश के कई जनपदों में संपूर्ण  ग्राम सभाओं में हरिशंकरी रोपण किया गया है लोक भारती गंगा और गोमती जैसी नदियों कि यात्रा कर उनका संरक्षण सुनिश्चित किया है जिसपर तत्कालीन सरकारों नें सराहनीय सहयोग किया है। प्राकृतिक कृषि हेतु लोगों को प्रेरित करते हुए बताया कि हम सुभाष पालेकर के सिद्धांत पर चलकर देशी गाय पालकर प्राकृतिक कृषि कार्य करें ताकि प्रकृति का संतुलन बनाया जा सके। इस दौरान प्रतापगढ़ के विभाग प्रचारक ओम प्रकाश नें भी यात्रा को सम्बोधित करते हुए प्लास्टिक के प्रयोग से पर्यावरण और जल के प्रदुषण पर नियंत्रण को बेहद अनिवार्य बताया और रामरज नदी यात्रा को प्रेरणा प्रद कार्य बताया। इस दौरान लोक भारती के राष्ट्रीय सह सचिव एवं काशी प्रान्त प्रभारी कैप्टन सुभाष ओझा नें बताया कि अध्ययन में जिस नदी को चमरौधा कहा जा रहा है जिस नदी में भरत जी खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौटते समय सिर पर खड़ाऊ लिए स्नान किया और जिसमें श्री राम के चरण रज समाहित हैं खड़ाऊ को चमड़े से तुलना कर  गलत नामकरण किया गया, जबकि यह रामरज नदी है जिसे घोषित किया जाना और पौराणिक महत्व दिया जाना चाहिए। रामरज नदी यात्रा इस क्रम में एक शुरुआत है। इस दौरान यात्रा कि रुपरेखा से अवगत होते हुए यात्रा उद्देश्यात्मक बनाने हेतु लोक भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गोपाल उपाध्याय नें आवश्यक बिंदु पर दौरान यात्रा कार्य आवश्यक बताया। इस दौरान उन्होंने सभी पड़ाव पर रामरज मित्र मंडल कि घोषणा करते हुए एक जनसमूह तैयार करने को कहा। रामरज नदी यात्रा के संयोजक सागर मिश्र नें यात्रा के पड़ाव और जनआह्वान से सभी को अवगत कराया। इस दौरान यात्रा में शामिल जिला संयोजक लोक भारती डी के शर्मा समेत राघवेंद्र सिंह, सुरेश शुक्ला, विनोद शर्मा, प्रमोद इत्यादि का माल्यार्पण किया गया। इस दौरान संघ के जिला प्रचारक प्रवीण जी एवं जिला पर्यावरण समिति,  खंड प्रचारक संडवा चन्द्रिका समेत सैकड़ो गणमान्य उपस्थित रहे। यात्रा आगे बढ़ते हुए लोहंगपट्टी, औरंगाबाद फूटेश्वर महादेव, चंदौका, कल्याणी देवी होते हुए निर्धारित पड़ाव पर आयोजित कार्यक्रम हेतु प्रस्थान की। इस दौरान हर्षोल्लास और जय उद्घोष से यात्रा का महौल अत्यंत भाव पूर्ण रहा।

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