वन विभाग के अनुसार सुबह 6:30 बजे राहगीरों ने सड़क किनारे बैग पड़े देखे और तुरंत अधिकारियों को सूचना दी. गुंडलूपेट डिवीजन के सहायक वन संरक्षक के नेतृत्व में एक टीम खोजी कुत्तों और पशु चिकित्सा कर्मचारियों के साथ मौके पर पहुंची.
वन विभाग और पशु चिकित्सा कर्मियों की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि बंदरों को कहीं और मारा गया. पहचान से बचने के लिए उनके शव गुंडलुपेट में फेंके गए. 2 बंदर जीवित मिले, जिन्हें इलाज के लिए गुंडलूपेट के पशु चिकित्सालय में भेजा गया
बांदीपुर टाइगर रिजर्व के परियोजना निदेशक समेत वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा किया. मौत के कारणों की जांच और जहर दिए जाने की पुष्टि के लिए पोस्टमार्टम के आदेश दिए गए हैं. बंदरों को लाने वाले वाहन की पहचान के लिए सड़कों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, हालांकि अब तक कोई सुराग नहीं मिला है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि क्षेत्र में बंदरों के आतंक की कोई शिकायत नहीं थी, जिससे यह आशंका और गहराई है कि जानवरों को कहीं और मारकर यहां फेंका गया है. इस संबंध में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की पहचान व गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित की गई है.