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बाराबंकीः ज्येष्ठ के अंतिम बड़े मंगल पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, भक्ति में रंगे जिले के मंदिर व गलियाँ


बाराबंकी। ज्येष्ठ माह के अंतिम और पांचवें बड़े मंगल पर मंगलवार को जिले में आस्था, भक्ति और सेवा का अद्भुत संगम देखने को मिला। जैसे ही सुबह मंदिरों के कपाट खुले, श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। श्रद्धालु भक्तों ने घरों में हनुमान चालीसा व सुंदरकांड पाठ कर उपवास रखा और फिर मंदिरों में दर्शन को पहुंचे।

शहर के धरोहर चैराहे, कोतवाली, रेलवे स्टेशन स्थित हनुमान मंदिरों से लेकर ग्रामीण अंचलों तक हनुमंत भक्तों की आस्था सिर चढ़कर बोलती रही। जय श्रीराम और जय हनुमान के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

इस अवसर पर दानवीरों ने अपनी सेवा की पोटली खोल दी। जगह-जगह भंडारों का आयोजन हुआ, जिसमें पूड़ी-सब्जी, छोला-चावल, शर्बत आदि का प्रसाद वितरित किया गया। कलेक्ट्रेट के सामने समाजसेवी रजनीश श्रीवास्तव व अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव द्वारा आयोजित भंडारे में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।असैनी में जिला पंचायत सदस्य डॉ. अवधेश वर्मा, पूर्व अध्यक्ष अनिल वर्मा और समाजसेवी अमन वर्मा द्वारा आयोजित भंडारे में भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद मौर्या, जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत व प्रभारी एमएलसी अवनीश सिंह सहित कई गणमान्य जनप्रतिनिधियों ने भी प्रसाद ग्रहण किया।रामनगर के गणेशपुर चैराहा स्थित शुक्ला मार्केट में शुक्ला परिवार व शिव शक्ति ट्रेडर्स द्वारा सुंदरकांड पाठ और भव्य भंडारे का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ चेयरमैन रामशरण पाठक ने किया। इस आयोजन में पूर्व मंत्री राकेश वर्मा, ब्लॉक प्रमुख रेनू वर्मा, पूर्व विधायक शरद अवस्थी, बीडीओ जितेंद्र कुमार, अनुपम शुक्ला उर्फ बाबा, आर.के. शुक्ल सहित अनेक गणमान्य मौजूद रहे।

सुबेहा थाने में प्रभारी निरीक्षक कृष्णकांत सिंह व हल्का आरक्षी रूपेन्द्र प्रताप सिंह की देखरेख में भव्य भंडारा हुआ। सीएचसी हैदरगढ़ में अधीक्षक डॉ. सौरभ शुक्ला ने प्रसाद वितरण कराया। वहीं गांव पूरे जबरसिंह (सुबेहा) में रणदीप सिंह राणा द्वारा लक्ष्य इंटरप्राइजेज की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण किया।इसी तरह हैदरगढ़, रामसनेहीघाट, दरियाबाद, सिरौलीगौसपुर सहित जिले की तमाम तहसीलों और कस्बों में श्रद्धालुओं ने भंडारे आयोजित किए, जिसमें सैकड़ों राहगीरों और भक्तों ने श्रद्धा के साथ प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।यह मंगल न केवल धार्मिक उत्सव था, बल्कि सेवा, समर्पण और सामूहिक सौहार्द का प्रेरणादायक उदाहरण भी बन गया।

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