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बाराबंकीः निबलेट गौशाला बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल, गोबर खाद से बढ़ रही आमदनी और खेतों की उर्वरता


मसौली/ बाराबंकी। विकास खंड बंकी में स्थित निबलेट गौशाला अब आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रही है। यहां संरक्षित गोवंश से प्राप्त होने वाला गोबर न केवल गौशाला को आर्थिक मजबूती दे रहा है, बल्कि किसानों के खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा रहा है।ग्राम पंचायत सचिव बृजेश कुमार और ग्राम प्रधान रामलली यादव के प्रयासों से गोबर को खाद में बदलकर गांव के कृषकों को बेचा जा रहा है। इससे रासायनिक खादों के दुष्प्रभाव से बचाव के साथ-साथ कृषि उत्पादन में वृद्धि हो रही है।

बताते चलें कि उप्र के कारागार व जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश राही द्वारा गौशाला के निरीक्षण के दौरान गोबर खाद के व्यावसायिक उपयोग पर बल दिया गया था। इसके बाद डीएम ने भी इस दिशा में आवश्यक निर्देश जारी किए।खंड विकास अधिकारी डॉ. संस्कृता मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि निबलेट गौ आश्रय स्थल में कुल 539 गोवंश संरक्षित हैं, जिनसे प्रतिदिन औसतन 4.5 कुन्तल गोबर प्राप्त होता है। इस गोबर को एक गड्ढे में इकट्ठा कर प्राकृतिक प्रक्रिया से खाद में परिवर्तित किया जाता है। फिर यह जैविक खाद ग्राम पंचायत द्वारा किसानों को बेची जाती है।ग्राम प्रधान रामलली यादव ने बताया कि अब तक 36 ट्रॉली गोबर खाद की बिक्री की जा चुकी है, जिससे प्रति ट्रॉली 800 रूपये की दर से कुल 28,800 रूपये की आमदनी वृहद गो संरक्षण केंद्र निबलेट के खाते में जमा की गई है।

यह मॉडल अब जिले की अन्य गौशालाओं में भी लागू करने की योजना है। जैविक खेती को बढ़ावा देने और गौशालाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में निबलेट गौशाला का यह कदम अनुकरणीय बनता जा रहा है।

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