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हिंदू धर्म में राष्ट्ररक्षण की शक्ति, ऑपरेशन सिंदूर में महिलाओं की भागीदारी पर गर्व-शांताक्का


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महिला सहयोगी संगठन राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख शांताक्का का कहना है कि हिंदू धर्म में सहनशीलता और राष्ट्ररक्षण की शक्ति है। नागपुर में राष्ट्रसेविका समिति के शिक्षा वर्ग के समापन पर समिति प्रमुख शांताक्का ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में महिलाओं की भागीदारी गर्व की बात है। इस कार्यक्रम में सेविकाओं ने शौर्य एवं वीरता के प्रतीक यष्टि और दंड का प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किया।

राष्ट्रसेविका समिति के शिक्षा वर्ग में सहभागी होने के लिए देशभर से 101 सेविकाएं इसमें शामिल हुईं। राष्ट्र सेविका समिति की प्रशिक्षित सेविकाओं ने समापन के अवसर पर प्रत्याक्षिक किया। आरएसएस के रेशम बाग स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर में समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया।

15 दिनों तक चलने वाले इस प्रशिक्षण शिविर में पूरे देश से 101 सेविकाएं वर्ग में शामिल हुईं। इस दौरान राष्ट्र सेविका समिति की प्रशिक्षणार्थियों ने व्यायाम, योग प्रस्तुत किया। सेविकाओं ने घोष वादन किया। यह घोषवादन ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित किया गया। शौर्य एवं वीरता के प्रतीक यष्टि व दंड का प्रात्यक्षिक सेविकाओं ने प्रस्तुत किया।

समापन कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालक शांताक्का ने कहा कि पहलगाम में कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले का जवाब देने वाला ऑपरेशन सिंदूर आत्म सम्मान का क्षण था और इस ऑपरेशन में महिलाओं की भागीदारी गर्व की बात है। सभी का सम्मान, भेदभाव रहित आचरण, भारत की विशेषता है। सर्वे भवंतु सुकिना यह हमारा लक्ष्य है और समिति के कार्यकर्ता देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। राष्ट्र सेविका समिति के प्रमुख संचालक शांताक्का ने कहा कि सहजता एवं सहनशीलता यह हिंदू धर्म का मूल आधार है, परंतु कोई इस भूमि पर आक्रमण करने पर राष्ट्र रक्षण की ताकत भी इस संस्कृति ने भारतीयों को दी है।

राष्ट्रसेविका समिति की 101 सेविकाओं ने प्रशिक्षण वर्ग में जो प्रशिक्षण ग्रहण किया था, उसका प्रत्याक्षीक भी सबके सामने किया। राष्ट्र सेविका समिति का उद्देश्य तेजस्वी हिंदू राष्ट्र का पुनर्निर्माण करने हेतु महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक रूप से तैयार करना है। राष्ट्र सेविका समिति में भाग लेने वाली तमाम सेविकाओं की दिनचर्या सुबह 5:00 से शुरू हो जाती है। सुबह स्मरण, योगासन, चिंतन, दंड, चाप और विभिन्न प्रकार के खेल भी उन्हें सिखाए जाते हैं। इस दौरान किसी को भी 15 दिन तक मोबाइल का उपयोग करने की अनुमति नहीं होती है।

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