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बाराबंकी: विश्व साइकिल दिवस पर विशेषः साइकिल स्वास्थ्य, स्वच्छता और सरलता की सवारी


दरियाबाद /बाराबंकी। साइकिल सिर्फ दो पहियों वाला एक साधन नहीं, यह सेहत, सादगी और स्वच्छता की सशक्त पहचान है। आज 3 जून को विश्व साइकिल दिवस पर हम उस साधन को नमन करते हैं जो न केवल शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखता है, बल्कि धरती को भी प्रदूषण से बचाने में अहम भूमिका निभाता है।1817 में जर्मन वैज्ञानिक कार्ल वॉन ड्रैस ने लकड़ी के फ्रेम वाली, पैडल रहित ष्स्विफ्टवॉकरष् नामक मशीन बनाकर एक नई क्रांति की शुरुआत की थी। वही मशीन आज आधुनिक साइकिल के रूप में न केवल गांवों और कस्बों में बल्कि शहरों की गलियों और रास्तों में भी आम जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।

2018 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित इस दिवस का उद्देश्य सिर्फ साइकिल की उपयोगिता का जश्न मनाना नहीं, बल्कि समाज को यह संदेश देना भी है कि स्वस्थ जीवन और स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में साइकिल एक कारगर हथियार है।आज भी ग्रामीण भारत में साइकिल शिक्षा का साथी, बुजुर्गों की सहचरी और युवाओं की ऊर्जा का प्रतीक बनी हुई है। बच्चों की पहली सवारी से लेकर किसान की खेत तक की यात्रा तक, साइकिल ने हर वर्ग और हर उम्र के साथ कदम मिलाया है। यह सस्ती है, सुलभ है, और सबसे बढ़कर पर्यावरण के लिए पूरी तरह अनुकूल है।विश्व साइकिल दिवस हमें याद दिलाता है कि जब हम साइकिल की सवारी करते हैं, तो हम न केवल खुद को फिट रखते हैं, बल्कि धरती को भी एक गहरी सांस लेने का अवसर देते हैं। आइए, इस विशेष दिन पर हम फिर से साइकिल को अपनाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने का संकल्प लें।

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