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बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्र की विरोधी पार्टी "जमात-ए-इस्लामी" का पंजीकरण किया बहाल


बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एक अजीबोगरीब फैसला देते हुए अपने देश की विरोधी राजनीतिक पार्टी का पंजीकरण बहाल कर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान इसकी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के चलते बैन लगाया गया था। मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दक्षिणपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी का पार्टी पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया है। बता दें कि कोर्ट का यह फैसला उस अंतरिम सरकार (मोहम्मद यूनुस) द्वारा पार्टी पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिए जाने के लगभग आठ महीने बाद आया है, जिससे भविष्य के चुनावों में पार्टी की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्र विरोधी पार्टी का पंजीकरण बहाल किया जाना बांग्लादेश में बहुत बड़े बदलावों का संकेत दे रहा है। कोर्ट अधिकारियों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश सैयद रिफात अहमद की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय खंड ने यह निर्देश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पारंपरिक चुनाव चिन्ह "तराजू" के तहत चुनाव लड़ने की अनुमति देना चुनाव आयोग (EC) के विवेक पर निर्भर करेगा। चुनाव आयोग ने दिसंबर 2018 में हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार जमात का पंजीकरण रद्द कर दिया था। पार्टी ने 1971 में बांग्लादेश की पाकिस्तान से स्वतंत्रता का विरोध किया था।

जिस सुप्रीम कोर्ट ने आज जमात-ए-इस्लामी का रजिस्ट्रेशन बहाल करने का आदेश दिया है, उसी ने 2013 में जमात-ए-इस्लामी पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में भाग लेने के लिए अयोग्य माना था। इसके साथ ही उसका पंजीकरण रद्द कर दिया था। 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद जमात ने 2013 के अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग की थी। इस पर मोहम्मद यूनुस ने पार्टी पर लगा बैन हटा दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने पंजीकरण भी बहाल कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमात के वरिष्ठ वकील मोहम्मद शिशिर मनीर ने कहा, "आज दशकों से चल रही कानूनी लड़ाई का अंत हो गया है। हमें उम्मीद है कि इस फैसले के बाद बांग्लादेश में एक सशक्त संसद का गठन होगा। हम आशा करते हैं कि अब मतदाता जमात के उम्मीदवार को चुन सकेंगे।" इस फैसले ने जमात को और बल दिया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसी सप्ताह जमात के एक शीर्ष नेता और मृत्युदंड प्राप्त दोषी ATM अज़हरुल इस्लाम को बरी कर दिया था। इस्लाम पर मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना का साथ देकर मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप था। अंतरिम सरकार के कानून सलाहकार आसिफ नज़रुल ने इस्लाम की बरी किए जाने का स्वागत किया था।

बता दें कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हाल ही में पूर्व पीएम शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को भंग कर दिया है। अब अवामी लीग की अनुपस्थिति में उसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), जिसकी अगुवाई पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया कर रही हैं, देश की राजनीति में प्रमुख भूमिका में उभर आई है। इसी दौरान जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण बहाल किया जाना बहुत कुछ कहता है।

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