- मांगें सुनी न गईं तो किया जायेगा बृहद आंदोलन
अमेठी। मनरेगा कार्मिकों का 15 वर्षों से शोषण किया जा रहा है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा के बाद भी न तो कोई एच आर पॉलिसी लागू की गई और न ही अन्य किसी घोषणा पर अमल किया गया, आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस मुख्यमंत्री के इशारे को समझकर अधिकारी कार्य करने लगते हैं, वही अधिकारी इतनी बड़ी घोषणा जो एक्सपो ग्राउंड में लगभग 40 हजार कार्मिकों के सामने की गई थी, उसको अनसुना कर रहे हैं, उक्त बातें विधान केसरी के साथ एक वार्ता में लेखा सहायक मनरेगा संघ के प्रदेश संगठन मंत्री रमेश द्विवेदी ने कहीं उन्होंने आगे कहा कि मनरेगा में लेखा सहायक पूरी पत्रावली का अवलोकन करते हैं, उसको विधिवत तैयार भी करते हैं, लेकिन प्रथम हस्ताक्षरकर्ता का डोंगल उनके बजाय लेखाकारों से लगवाया जाता है, जबकि उन्हें मनरेगा के प्राविधानों और नियमों की कोई जानकारी ही नहीं होती स लेखा सहायक मनरेगा पूरी योग्यता रखते हैं वे अकाउंट की पढ़ाई करके आए हैं, जबकि अधिकतर विभागीय लेखाकार जो प्रथम हस्ताक्षरकर्ता हैं वो इण्टर पास ही हैं स मिली जानकारी के अनुसार कुछ जिलों में तो स्थापना लिपिक मनरेगा का कार्य देख रहे जो बिल्कुल नियम विरुद्ध है, उन्हें मनरेगा के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है स इसके अलावा लेखा सहायक को मात्र 11803 रुपए भुगतान दिया जाता है, जबकि लेखा सहायक दूर दूर जिलों से आये हैं, तमाम ब्लॉकों में रहने की सुविधा न होने की वजह से बाहर कमरा लेकर और परिवार के साथ रहना इतने कम वेतन में क्या इस मंहगाई में सम्भव है? उन्होंने कहा कि क्या विभागीय मंत्री और माननीय मुख्यमंत्री इस बात से अनजान हैं? यदि उन्हें जानकारी नहीं है तो उन्हें संज्ञान में लाने के लिए शीघ्र ही मिलने का कार्यक्रम बनाया जाएगा, और यदि संज्ञान में है तो ये मानवता के विरुद्ध है और शोषण है, यदि हमारा मानदेय 24000 नहीं किया गया और एच आर पॉलिसी लागू नहीं की गई तो इसके लिए मजबूरी में हमें माननीय न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा स हमारी मांगों के संबंध में लेखा सहायक मनरेगा संघ की कमेटी से 5 सक्रिय सदस्य शीघ्र ही माननीय मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री से मिलकर अपनी मांगों को रखेंगे, यदि हमारी मांगों पर अमल नहीं किया गया तो मजबूर होकर हम माननीय न्यायालय की शरण में जाएंगे।