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प्रयागराजः अपहरण और हत्यारू सबूतों के अभाव में आरोपी बरी, हाईकोर्ट ने कहा -अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल


प्रयागराज। अपहरण और हत्या के आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव के चलते बरी कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा है. यह आदेश जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस समित गोपाल की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा आदेश को रद्द कर दिया है. जांच में गंभीर अनियमितताओं और अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों की विश्वसनीयता संदिग्ध होने के कारण हाईकोर्ट ने सजा रद की।

अपहरण और हत्या का यह प्रकरण सहारनपुर जिले के देवबंद थाने से जुड़ा हुआ है. 10 अगस्त, 2017 को नदीम ने अपने 5 वर्षीय बेटे मो. जैद के लापता होने की अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई. हालांकि, उसी दिन बाद में नदीम ने एक और आवेदन दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि अहसान (जो उसके साथ काम करता था) और नौशाद (अहसान का रिश्तेदार) ने उसके बेटे का अपहरण किया है. कहा कि गुलशेर और शारिक ने उन्हें जैद को ले जाते हुए देखा था और सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध था।

11 अगस्त, 2017 को कथित तौर पर नौशाद और अहसान की निशानदेही पर जैद का शव याकूब के गन्ने के खेत से बरामद किया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण डूबने से दम घुटना बताया गया. कोर्ट ने कहाकि अपहरण और हत्या का यह मामला पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था, क्योंकि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. कहा, अपहरण और हत्या अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला पूरी और निर्विवाद होनी चाहिए, और कोई अन्य परिकल्पना नहीं होनी चाहिए।

कहा, अपहरण और हत्या के गवाहों नदीम और गुलशेर के बयानों में विरोधाभास है, खासकर अहसान और नौशाद द्वारा जैद को ले जाने की बात कब बताने के संबंध में. कहा कि अपहरण और हत्या के अभियुक्तों से पूछे गए प्रश्न अत्यधिक जटिल थे और उचित और निष्पक्ष स्पष्टीकरण देने के उनके अवसर को बाधित कर सकते थे. अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के लिए अपराध करने का कोई स्पष्ट मकसद स्थापित नहीं कर सका।

अदालत ने तत्कालीन एसएचओ, पंकज कुमार त्यागी द्वारा की गई जांच के “पूरी तरह से सुस्त और अनुशासनहीन तरीके” पर कड़ी टिप्पणी की और उन्हें ऐसे जटिल मामलों की जांच करने में “अक्षम” अधिकारी करार दिया. कोर्ट ने कहा अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में नाकाम रहा. कोर्ट ने फैसले की एक प्रति डीजीपी, उत्तर प्रदेश, लखनऊ को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजने का निर्देश दिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की खामियों को रोका जा सके.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आभूषण चोरी के आरोपी सुग्गी लाल शुक्ल की सशर्त जमानत अर्जी मंजूर कर ली. यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर ने सुग्गी लाल शुक्ला उर्फ ओम प्रकाश की अर्जी पर दिया है. कौशाम्बी निवासी याची के बेटे पर 65,700 रुपए व चांदी के आभूषण चोरी करने का आरोप लगाया गया था।

इसी मामले में उसके 60 वर्षीय पिता सुग्गी लाल को भी इस आधार पर सह-आरोपी बनाया गया कि उसके पास से 3,000 नकद और चांदी के आभूषण की बरामदगी हुई थी. याची का कहना था कि उसका बेटा बिजली का ठेकेदार है और शिकायतकर्ता के घर काम कर रहा था. मजदूरी को लेकर विवाद हुआ, जिसके चलते झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है।

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