पीलीभीतः भारी विवाद में घिरी मंदिर की दान भूमिरू गोस्वामीज मॉम्स प्राइड स्कूल प्रशासन ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग! पूर्व नौसेना अधिकारी की धार्मिक भावना पर आघात, प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल
June 30, 2025
पीलीभीत। जिले के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान गोस्वामीज मॉम्स प्राइड स्कूल और उससे सटी दान की गई मंदिर भूमि को लेकर एक गंभीर विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। भूतपूर्व नौसेवा अधिकारी सी. जी. गोस्वामी सुपुत्र निशांत गोस्वामी द्वारा धार्मिक उद्देश्य से दान की गई भूमि पर अवैध निर्माण की शिकायत ने प्रशासन की कार्यशैली और निष्क्रियता को कटघरे में खड़ा कर दिया है। विद्यालय प्रशासन का कहना है कि स्कूल के प्रबंधक निशांत गोस्वामी की अनुपस्थिति में उत्तराखंड के कुछ बाहरी व्यक्तियों ने स्कूल से सटी मंदिर की भूमि पर जबरन निर्माण कार्य शुरू कर दिया, जो कि न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि धार्मिक भावनाओं की भी खुली अवमानना है। बाहरी तत्वों पर गंभीर आरोपरू भूमि कब्जाने की सुनियोजित साजिशरू विद्यालय प्रशासन द्वारा जारी बयान में उत्तराखंड के हल्द्वानी क्षेत्र से आने वाले तीन लोगों पर भूमि कब्जाने का आरोप लगाया गया हैरू काबुल सिंह, पुत्र अजीत सिंह, निवासी लालपुर नायक, कुलदीप कौर, पत्नी गुरमेज सिंह, निवासी प्रेमपुर लोसवानी, गुरदीप कौर मुख्तार आम गुरमेज सिंह, पुत्र अमर सिंह इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने मंदिर के पास बने टीन शेड को हटवाकर नया निर्माण कार्य शुरू किया, जबकि वह भूमि स्पष्ट रूप से मंदिर व भंडारे हेतु स्कूल प्रशासन द्वारा दी गई थी। प्रबंधक निशांत गोस्वामी व उनका परिवार इन दिनों देश से बाहर है, जिसकी सूचना प्रशासन को पूर्व में दी जा चुकी थी। विद्यालय भी ग्रीष्मकालीन अवकाश के कारण बंद है। स्कूल प्रशासन का आरोप है कि इस स्थिति का अनुचित लाभ उठाते हुए लेखपालों की मिलीभगत से अवैध निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया। 347 की जगह 348 और 349 की नपाईरू जानबूझकर किया गया भ्रमितरू मूल शिकायत गाटा संख्या 347 की पैमाइश को लेकर थी, जिसकी अर्जी 23 दिसंबर 2024 को दी गई थी। लेकिन लेखपालों ने 06 जनवरी 2025 को बिना किसी सूचना के गाटा संख्या 348 अ, 348 ब और 349 की नपाई कर दी, जो विद्यालय की चारदीवारी के अंदर स्थित है। नायब तहसीलदार के स्पष्ट निर्देश के बावजूद लेखपालों ने 347 को विवादित बताकर रिपोर्ट तैयार की और स्कूल प्रशासन पर जबरन हस्ताक्षर कराने का भी प्रयास किया। गुरमीत सिंह का आवेदन प्राथमिक, जबकि खतौनी में नाम तक नहीं है विद्यालय प्रशासन ने यह भी बताया कि जिस गुरमीत सिंह के आवेदन को प्राथमिकता दी गई, उनका नाम 347 की खतौनी में मौजूद नहीं है। इसके बावजूद उनके प्रार्थना पत्र के आधार पर पैमाइश कराई गई, जबकि निशांत गोस्वामी द्वारा पूर्व में दिया गया आवेदन नजरअंदाज कर दिया गया लेखपालों द्वारा यह दावा किया गया कि गाटा संख्या 347 की भूमि बाढ़ में बह गई है, इसलिए उसकी पूर्ति अन्य गाटों से की जाएगी। जबकि चकबंदी मानचित्र में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि वहां नाला और पुल मौजूद हैं, जिसकी चैड़ाई को नजरअंदाज करते हुए नए मापदंड तैयार किए गए। स्कूल प्रशासन ने तीखा सवाल उठायारू “क्या किसी और की जमीन जबरन लेकर किसी और को देना न्यायोचित है?”एक और चैंकाने वाला पहलू यह है कि पैमाइश के दौरान विद्यालय की चारदीवारी के भीतर बिना अनुमति बाहरी लोग घुसे, जबकि विद्यालय परिसर में बच्चे भी मौजूद थे। लेखपाल साजिद का बयान “पैमाइश के समय कोई नहीं रोक सकता,” विद्यालय की सुरक्षा नीतियों और बच्चों की मानसिक शांति पर सीधा हमला माना जा रहा है। विद्यालय की चार प्रमुख मांगेंरू प्रबंधक निशांत गोस्वामी ने मामले को लेकर प्रशासन से स्पष्ट और कड़े कदम उठाने की मांग की हैरू गाटा संख्या 347 की निष्पक्ष व पारदर्शी पैमाइश कानूनगो की निगरानी में दोनों पक्षों की उपस्थिति में कराई जाए। लेखपाल राम प्रकाश एवं साजिद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर उनके विरुद्ध प्रशासनिक जांच एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई हो।दान की गई मंदिर भूमि पर हो रहा निर्माण कार्य तत्काल रोका जाए।प्रबंधक की अनुमति के बिना कोई निर्माण या पैमाइश कार्य न हो। यह विवाद अब केवल जमीन का मामला नहीं रह गया है। यह उस पूर्व नौसेना अधिकारी की धार्मिक निष्ठा, एक विद्यालय की संवेदनशीलता, और प्रशासन की ईमानदारी व जवाबदेही की परीक्षा बन चुका है।अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगा? या यह मामला भी कागजों में दबकर रह जाएगा?