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जामोः वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर श्रीवतास्तव के यहां चल रही दिव्य राम कथा! कवन सो काज कठिन जग माही जो नहीं होई तात तुम पाहीं


जामो/अमेठी। वरिष्ठ दीवानी न्यायालय सुलतानपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर श्रीवतास्तव के यहां चल रही दिव्य राम कथा का आज आखिरी दिन था। कथा व्यास मुक्तिनाथ मिश्रा जो बहराइच से पधारे हैं आज की कथा में सुंदर मीठे फल खाकर के जब आंख म्ंदा तो समुद्र के किनारे थे अब बारी थी कैसे बाहर सीता का पता लागाएंगे संपाती के प्रसंग में संपात्ती ने सोचा की आज ईकट्ठे ही इतने आहर मिल गए हैं तब बंदरों में से एक ने कहा की एक जटीयू थे जो राम जी के लिए रावण से लड़ गए और एक यह है जो हम सभी को खाना चाहते हैं जटायू का नाम सुनकर के संपाती द्रवित हो गया उसने कहा आप सब ने जटायू का नाम लिया है वाह हमारे छोटे भाई हैं एक बार हम दोनों भाई सूर्य देव के पास में जा रहे थे तब हमारे भाई जटायू ने जब हर्मा पंख झुलस रहे थे तो उन्होंने कहा आप लौट जाओ लेकिन मैं जब नहीं माना तो धीरे-धीरे मेरी पंख जलने लगे और मैं यहीं आकर के गिर गया तब से यही पड़ा हूं आप सब मुझे समुद्र के पास में ले चलिये मैं अपने भाई को तिलअंजली दे दू जब वह अपने भाई को तिलअंजली देने लगे तो उनके पंख फिर से जाम गये तब बंदरों ने कहा हमने आपकी मदद किया आप हमारी सहायता कीजिए तो उन्होंने कहा की मैं गीध हूं हमारी दृष्टि बहुत दुर तक जाति है मैं यहां से देख रहा हूं की त्रिकूट पर्वत पर लंका है वहां पे सीता जी अशोक वाटिका में विराजमान है लेकिन आप लोग में से जो 100 योजन समुद्र लांग सकता है व वही सीता का पता लगा सकता है तब सभी बंदरों ने अपनी-अपनी  ताकत के बारे में बताया की मैं इतना लांघ सकता हूं अंगद ने कहा की मैं जा तो सकता हूं लेकिन वापसी में सनशय है ऐसे में दूर में बैठे हुए हनुमान जी राम नाम जप रहे थे तब जमवंत जी ने -कवन सो काज कठिन जग माही जो नहीं होई तात तुम  पाहीं ,,तात तुम  ऐसा कौन सा कार्य है जो आपसे सफल नहीं हो सकता उन्होंने उनके बल को याद दिलाया तब हनुमान जी पर्वत के आकर का हो गए उन्होंने कहा मैं धरती को उठा सकता हूं लंका को समुद्र में डुबो सकता हूं सीता साहित पूरी लंका को यहां ला सकता हूं तब जामवंत जी ने कहा आपको ऐसा कुछ नहीं करना है आपको सिर्फ जानकारी ले आना है बाकी सभी कार्य राम जी करेेंगे कथा बहुत ही दिव्य अमृत मई चल रही है गुढ रहस्यों से भरी राम कथा में भक्तगण भाव विभोर हो रहे थे इस तरह की कथा बहुत दुर्लभ हुआ करती है।

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