लखनऊः डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में तीव्र स्ट्रोक देखभाल पर कार्यशाला
May 15, 2025
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में बेहतर स्ट्रोक परिणामों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में तीव्र स्ट्रोक देखभाल पर कार्यशाला का आयोजन हुआ।
राजधानी लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में दो दिवसीय तीव्र स्ट्रोक देखभाल कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य राज्य में स्ट्रोक की समय पर पहचान और प्रबंधन को बेहतर बनाना था।
इस कार्यक्रम में विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य पेशेवरों ने भाग लिया और फास्ट (चेहरे का झुकाव, हाथ की कमजोरी, बोलने में कठिनाई और समय पर पहचान) सिद्धांत पर ध्यान केंद्रित किया। जो स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानने और तत्काल प्रतिक्रिया देने के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है।
इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ पार्थ सारथी सेन शर्मा ने किया। उन्होंने समय पर स्ट्रोक की पहचान और दिशानिर्देशों पर आधारित उपचार, विशेषकर थ्रोम्बोलाइसिस के महत्व पर जोर दिया, जो पात्र रोगियों के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि त्वरित कार्यवाही से विकलांगता को काफी हद तक कम किया जा सकता है, रोगियों के परिणामों में सुधार किया जा सकता है और स्वास्थ्य प्रणाली पर स्ट्रोक के बोझ को कम किया जा सकता है।
इस मौके पर निदेशक डॉ. सी.एम. सिंह ने राज्य में बढ़ते स्ट्रोक और अन्य गैर-संचारी रोगों (छब्क्े) के बोझ पर प्रकाश डाला। उन्होंने न्यूरोलॉजी विभाग को स्ट्रोक देखभाल में सुधार और बेहतर रोगी परिणामों के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
महानिदेशक स्वास्थ डॉ. आर.पी. सुमन ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और शुरुआती स्ट्रोक पहचान में स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की क्षमता निर्माण पहल स्ट्रोक देखभाल की गुणवत्ता में सुधार, दीर्घकालिक विकलांगता को कम करने और जीवित रहने की दर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
स्वास्थ्य, ने हब और स्पोक मॉडल की निदेशक डॉ. कविता आर्य ने मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि जिला अस्पतालों को प्राथमिक संपर्क बिंदु और तृतीयक केंद्रों को रेफरल अस्पताल के रूप में कार्य करना चाहिए। यह मॉडल समय पर देखभाल और बेहतर स्ट्रोक परिणाम सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है।
न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय कुमार सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि अगर स्ट्रोक का समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर विकलांगता का कारण बन सकता है। उन्होंने बताया कि समय पर हस्तक्षेप से स्ट्रोक के दीर्घकालिक प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
इस कार्यशाला का समन्वय और संचालन डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने किया। जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस कार्यक्रम के दौरान इंपॉर्ट किए गए कौशल और ज्ञान का उत्तर प्रदेश में स्ट्रोक परिणामों पर दीर्घकालिक प्रभाव होगा। प्रतिभागियों ने प्रारंभिक स्ट्रोक पहचान, त्वरित निर्णय लेने और थ्रोम्बोलाइसिस के प्रभावी उपयोग के उन्नत कौशल प्राप्त किए, जो सामूहिक रूप से निम्नलिखित में योगदान कर सकते हैं।