- जहां जाते थे वहीं घेर लेते थे जातिगत गणना समर्थक
- जबाब देते थे मोदी है तो मुमकिन है
- तीन तीन बार केंद्र सरकार को उंगली पर नचाने वाले आज बनते हैं ओबीसी समर्थक
- चूक हुई तो रोना होगा वरना सपना पूरा होगा
- जातिगत जनगणना में अतिपिछड़ा सावधान हो
बात उरई दौरे कि है विधान केसरी के पत्रकार शैलेंद्र सविता ने जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जातिगत जनगणना को लेकर सवाल किया तो उन्होंने खुलें शब्दों में बड़े प्यार से जबाब देते हुए कहा कि मोदी है तो मुमकिन है यही हाल लखनऊ में आयोजित आजतक के कार्यक्रम में पहुंचे उपमुख्यमंत्री श्री मौर्य से सवाल जवाब हुए तब भी विधान केसरी के लखनऊ पत्रकार सुखपाल संतोष ने उनसे सवाल किया कि आप ओबीसी से आते हैं और बड़ी पोस्ट पर है तो जातिगत जनगणना क्यों नहीं करा पा रहे हैं उनका तब भी यही जबाब था कि समय का इंतजार करें मोदी जी जो कहते हैं वह करते हैं इसी तरह मेरठ में विधान केसरी के पत्रकार राहुल ठाकुर ने मेरे आदेश पर जातिगत जनगणना को लेकर सवाल किया तब उन्होंने बड़े विश्वास से कहा था कि मेरे भाई थोड़ा इंतजार करें मोदी जी जो जनहित में ठान लेते हैं एक कदम पीछे नहीं हटते बल्कि उस पर काम करते हैं कुल मिलाकर मैं विधान केसरी का सम्पादक होने के नाते दावे के साथ कह सकता हूं कि केशव प्रसाद मौर्य को जब मौका मिला तब तब उन्होंने ओबीसी की वकालत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी बल्कि मेरे स्वयं के अनुरोध पर उन्होंने बिजनौर पीडब्ल्यूडी के निरिक्षण भवन का जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रख दिया खैर कोई माने ना माने
जब जब ओबीसी होने के नाते उनसे सवाल किया गया तब तब उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर भरोसा जताते हुए साफ कहा कि आप लोग मुझसे पूछते हो तो बता दूं कि मुझे मोदी जी पर पूरा भरोसा है आप सभी भरोसा बनाए रखें जातिगत जनगणना की मांग लम्बे समय से चली आ रही है और उसकी आवश्यकता है आज ओबीसी के समर्थक होने का दावा करने वाले भले ही ओबीसी को गुमराह करते रहे लेकिन मोदी जी मौका लगते ही इस एतिहासिक काम को कर डालेंगे और वही हुआ खैर श्री मौर्य को मिडिया जातिगत जनगणना कराने में मौर्य का नाम लें न ले जिससे प्रमाण की आवश्यकता भी नहीं है लेकिन विनेश भईया दावे से कह सकता है कि ओबीसी की पीड़ा केशव प्रसाद मौर्य से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता है ।
साथ साथ मैं बताना चाहता हूं कि आरक्षण विरोधी लोगों में खासकर ओबीसी का पूरा हिस्सा डकारने वाली जातियों में मोदी जी के इस फैसले ने हड़कंप मचा दिया और तीन बार केंद्र सरकार को अपनी उंगलियों पर नचाने वाले दल आज भले ओबीसी होने का ढोंग कर रहे हों लेकिन इस फैसले ने उनकी हवा निकाल दी है इसके बावजूद प्रत्येक क्षेत्र में घोटाले में माहिर लोगों से अतिपिछड़ी जातियों को सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में जातिगत उत्पीड़न की शिकार रही जातियां स्वेच्छा से नाम के आगे सैन सविता नंद श्रीवास्तव शर्मा वर्मा पाल प्रजापति सैनी कश्यप विश्वकर्मा आदि गैरगजट टाईटिल लगाकर खोखला सम्मान पातीं रही है नौबत यहां तक भी रही कि बहुत से लोगों ने तो झूठे सम्मान के चक्कर में रोटी बेटी का रिश्ता भी खुशी में नहीं मजबूरी में सामान्य जातियों में जोड़ लिया है जों जातिगत जनगणना में उन जातियों के लिए अभिशाप से कम नहीं होगा।
मैं एक सम्पादक और वंचितों का चिंतक होने के नाते कहना चाहता हूं कि अतिपिछड़ी जातियों में जितनी भी जातियां आतीं हैं उन सभी में पैदा हुए लोग चाहे पूंजीपति हों या कर्मचारी गरीब हों या मजदूर अपमान के कारण अधिकांश लोगों द्वारा जाति छिपाना मजबूरी रही है भले ही आज पढ़ें लिखे समय में व्यक्तिगत प्रतिष्ठा देखकर सम्मान मिलना शुरू हो गया हों लेकिन जातिगत सम्मान का आज भी अभाव है तभी तो ओबीसी होने के नाते कोई बड़े बड़े मंत्रियों को स्टूल मंत्री तो पूर्व मुख्यमंत्री को टोटी चोर कहने में संकोच नहीं करता मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि राज्य सरकारों द्वारा ही नहीं केंद्र सरकारों और राजनीतिक दलों द्वारा अतिपिछड़ी जातियों को टिकट वितरण हों या सरकारी लाभ देने में हांसिए पर रखा जाता रहा है और तों और पोस्टिंग एवं मंत्रालय वितरण तक में चला आ रहा भेदभाव किसी से छिपा नहीं है इसलिए जातिवाद तेजी से बढ़ रहा है आज प्रत्येक जाति के लोगों में आई जाग्रति के कारण ही धन धरती शिक्षा सम्मान हो या लोकतंत्र के चारों स्तंभ व्यवस्थापिका कार्यपालिका न्यायपालिका और मीडिया में भी जनसंख्या अनुपात की मांग ने तेजी पकड़ी है कोई माने ना माने लेकिन यह सोलह आने सच है कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते केशव प्रसाद मौर्य के कारण भाजपा को 327 सीटें मिली जिसमे मोदी जी का क्रेज तो लोगो के सिर चढ़कर बोला लेकिन ओबीसी में एक संदेश था कि इस केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका इसके बावजूद और भी कई दल इसी मिशन पर निकले और अतिपिछड़ी जातियों को जनसंख्या अनुपात में हिस्सेदारी दिलाने को लेकर तमाम घोषणाएं की खैर जो भी हो केंद्र सरकार ने यह अतिपिछड़ों के हित में बड़ा काम कर दिखाया है
इस लिए भी मैं विनेश भईया खुलें शब्दों में अतिपिछड़ी जातियों का आह्वान करता हूं कि यदि आप लोग अपनी अगली और उससे भी अगली पीढ़ी के लिए कुछ करना चाहते हैं तो जातिगत जनगणना में आए सर्वेक्षण में खुलें शब्दों में ही अपनी जाति लिखवाने का काम करें ताकि नाई बढई मुराव समाज में धीवर में माली सैनी कुम्हार सुनार भड़भूजा बंजारा धोबी केवट मल्लाह आदि जातियों के लोग टाईटिल बताने का भी प्रयास न करें सीधे अपनी अपनी जाति को बिना किसी मान सम्मान अपमान की चिंता किए नाई सैन सविता नंद शर्मा वर्मा श्रीवास्तव राजौरिया आदि न बताकर सीधे नाई कुम्हार सुनार लोहार गडरिया माली बढई लोनिया मुराव भुजवा तेली तमोली बरी गोडिया कलवार जायसवाल भर राजभर मल्लाह आदि दर्ज कराईं जाएगी तो वास्तविक जनसंख्या पता हों सकेगी जो न सिर्फ आरक्षण ही नहीं बल्कि शासन सत्ता और सम्मान में भी वरदान साबित होगी हालांकि निजीकरण और वर्तमान व्यवस्था में किसी सरकार या पार्टी की निति अथवा नियत का आंकलन नहीं किया जा सकता लेकिन यह सोलह आने सच है कि जातिगत जनगणना आने वाले समय में अतिपिछड़ों के लिए ही नहीं सभी वंचित जातियों के लिए वरदान साबित होगी और यदि अतिपिछड़ी जातिया झूठे सम्मान में उलझकर रह गई तो सबसे बड़ा अभिशाप साबित होगा और फिर सरकार की गलती बताते रहोगे। कोई माने ना माने मैं मोदी सरकार के इस फैसले को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के भरसक प्रयास का भी परिणाम मानता हूं।
विनेश भईया सम्पादक
विधान केसरी लखनऊ से
8954600000