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प्रतापगढः तिल की खेती से किसानों को मिलेगा अधिक लाभ-जिला कृषि अधिकारी


प्रतापगढ़। जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने शनिवार को बताया है कि कृषि विभाग द्वारा जारी नई योजना के अंतर्गत तिल की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। तिल एक अत्यंत लाभकारी तिलहन फसल है, जो कम पानी में भी अच्छी उपज देती है और सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। तिल में तेल की मात्रा 45-50 प्रतिशत तक होती है, जिससे यह किसानों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी साबित हो सकती है। साथ ही तिल की मांग घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लगातार बनी हुई है। तिल के बीजों का उपयोग तेल निकालने, मसालों, मिठाइयों और स्वास्थ्य उत्पादों में किया जाता है। उन्होने बताया है कि तिल की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, तिल के लिए सर्वोत्तम होती है। तिल की सामान्य किस्मों में टाइल 1, टाइल 2, टाइल 3, आरटी 46, आरटी 54, पूसा तिल 1, गुजरात तिल 2, संकर किस्मों में प्रज्ञा (टीसी 25), सुमित (टीसी 289), यमुना (टीसी 290) व उन्नत किस्मों में एचयूएम 1, एचयूएम 2 (उच्च तेल उत्पादन वाली) है।

उन्होने खेत की तैयारी के सम्बन्ध में बताया है कि मिट्टी को अच्छी तरह से जुताई करके भुरभुरी बना लें, खेत में पाटा लगाकर समतल करें ताकि जलभराव न हो, अंतिम जुताई से पहले 5-6 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। तिल की बुवाई खरीफ के मौसम में (जून-जुलाई) और गर्मियों में (फरवरी-मार्च) की जाती है। बीज दर 3-4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, तिल की बुवाई छिड़काव या लाइन में (30-45 सेमी की दूरी पर) बायो जा सकता है, बीज को 2-3 सेमी से अधिक गहरा न बोये। तिल को कम पानी की आवश्यकता होती है लेकिन फूल आने और दाना बनते समय नमी जरूरी है, खरीफ में यदि वर्षा न हो तो 2-3 सिंचाईयॉ पर्याप्त होती है। पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ने और निचली पत्तियाँ झड़ने लगें तो कटाई करें (बुवाई के 80-120 दिन बाद)। इसकी उपज सामान्य किस्मों से 8-10 क्विंटलध्हेक्टेयर, उन्नत किस्मों से 12-15 क्विंटलध्हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है। तिल की मांग हमेशा बनी रहती है और इसका बाजार भाव रूपये 8000 से रूपये 10000 प्रति क्विंटल तक हो सकता है। जैविक तिल की खेती करने पर अधिक मूल्य प्राप्त हो सकता है। जिला कृषि अधिकारी ने किसानों से अपील करते हुये कहा है कि वे समय पर तिल की बुवाई करें और आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग कर अपनी आय में वृद्धि करें।

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