सैफनीः आईजीआरएस के निस्तारण में पुलिस का खेल
May 10, 2025
सैफनी। पांच दिन पूर्व ही बैरुआ गांव में हुई लूटपाट की घटनाओं सैफनी पुलिस ने हेरफेर कर मामले को चोरी में दर्ज करने का खेल किया था। लूटपाट की घटनाओं के दौरान बदमाशों की मारपीट में गृह स्वामी व दूसरी लूटपाट की घटना के दौरान बालियां खींचेने से महिला का कान भी फट गया था। सैफनी पुलिस मामले को दबाने के लिए घायलों का नियमानुसार मेडिकल न कराकर नगर के ही एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। लूटपाट के मामले जब मीडिया में उठे। तो उच्च अधिकारियों के साथ साथ एसओजी टीम ने भी घटनास्थलों पर जाकर वारदातो की जानकारी ली। तब जाकर सैफनी ओकिस ने चार दिन बाद पुलिस ने घायलों को मेडिकल के लिए शाहबाद सीएचसी भेज। वहीं, पुलिस ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर की शिकायत के निस्तारण में भी खेल कर दिया है। थाना क्षेत्र के कासमनागला गांव निवासी दिनेश कुमार का कहना है कि 14 अप्रैल की शाम वह नगर स्थित अस्पताल में अपने किसी परिचित को देखने गया था। आरोप है कि वहां पहले से भर्ती बैरुआ गांव के एक मरीज के परिजनों ने गालीगलौज कर मारपीट कर दी। पीड़ित का यह भी कहना है कि उसकी जेब मे रखे पांच हजार रुपए भी लूट लिए गए। मामले को लेकर पीड़ित थाना पुलिस ने शिकायत की। पीड़ित ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। घटना की सत्यता जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज देख लिए जाएं। थाने में सुनवाई न होने पर दिनेश मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई। पोर्टल पर शिकायत करते ही पुलिस का खेल शुरू हो गया। पीड़ित का आरोप है कि मामले की जांच कर रहे कस्बा इंचार्ज ने उसे थाने बुला लिया और दबाव बनाकर आरोपी पक्ष से समझौता करने को कहा। काफी दबाव बनाने के बाद भी जब पीड़ित समझौता करने को राजी नहीं हुआ। तब थाने में किसी सिपाही से चोरी छिपे दोनों पक्षों के बैठे हुए वीडियो बनवा की। दरोगा का खेल यहीं समाप्त नहीं हुआ। पीड़ित ने बताया कि जब उसने अपने द्वारा की गई शिकायत की आख्या चेक की तो उसके होश उड़ गए। दरोगा ने अपनी आख्या में नगर के दो गणमान्य लोगों के नाम दर्शाते हुए लिखा कि उन दोनों की मौजूदगी में समझौता करा दिया गया, दरोगा ने मनघड़ंत बातें लिखकर और शिकायतकर्ता को झूठा सिद्ध कर दिया। दरोगा ने अपनी मनघड़ंत आख्या में नगर के दोनों जिन दो लोगों के नाम दर्शाए गए हैं। उन दोनों ने पीड़ित दिनेश के पक्ष में हकफनामे में देकर यह बताया है कि उन्हें इस प्रकरण की कोई जानकारी नहीं है, और ना ही दरोगा जी ने उन्हें इस संबंध में उन्हें कुछ बताया। गवाह के रूप में उन्हें गलत दर्शाया गया है। पीड़ित ने पुनः पूरे मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक से कर दरोगा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।