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शाहगढः राम कथाः भाई के प्रति प्रेम निष्ठा और समर्पण कोई भरत से सीखे


शाहगढ़/अमेठी। भाई भाई में प्रेम निष्ठा त्याग और समर्पण का भाव तो कोई प्रभु श्रीराम के अनुज भ्राता भरत से सीखना चाहिए। उक्त बातें कथा व्यास ने वीर रामपुर में चल रही श्रीराम कथा के तृतीय दिवस में कही। कथा व्यास आचार्य बाल योगेश्वर जी महराज ने श्रीराम कथा के तृतीय दिवस में महाराज दशरथ से कैकयी द्वारा मांगे गए वरदान राम वन गमन और राम भरत संवाद की कथा सुनाई। उन्होंने कथा में बताया कि किस प्रकार से रानी कैकयी ने अपने पुत्र को राजगद्दी और राम को वनवास के लिए वर मांगा पिता की आज्ञा मानकर राम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन जाने लगे और पिता के मृत्यु की खबर मिलने पर भरत ननिहाल से अयोध्या आए और वहां आकर अपनी माता से भाई राम  के बारे पूछे जाने पर वन जाने की बात बताने पर कैकयी को फटकार तथा वन से भाई को वन से वापस लाने के लिए माताओं और मंत्रियों के साथ जाना और भरत राम संवाद का व्रतांत सुनाया सायंकालीन कथा का आयोजन हरि ओम विश्वकर्मा और शिवओम विश्वकर्मा ने किया है। इस अवसर पर राधेश्याम राम अवतार सुरेश शुक्लएश्री ओम सहित काफी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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