परमाणु कार्यक्रम बंद नहीं किया तो होगी सैन्य कार्रवाई-डोनाल्ड ट्रंप
April 10, 2025
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (9 अप्रैल) को फिर से ईरान को धमकी दी है. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम बंद नहीं किया तो अमेरिका उस पर सैन्य कार्रवाई करेगा. इसके साथ ट्रंप ने ये भी कहा कि इस तरह की किसी भी सैन्य कार्रवाई में इजरायल की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
उल्लेखनीय है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरे पर हैं. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान बेहद अहम माना जा रहा है. ट्रंप ने कहा कि ईरान को परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और अगर वह अपने विकास प्रयासों को रोकने से इनकार करता है तो सैन्य कार्रवाई हो सकती है.
हाल ही में ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए एक नए समझौते का प्रस्ताव दिया है. ट्रंप ने ईरान को सीधे बातचीत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ईरान ने अमेरिका से सीधे वार्ता का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. ईरान किसी तीसरे देश की मध्यस्थता में अमेरिका से परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने का इच्छुक है और दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप किसी तीसरे देश के लिए तैयार नहीं हैं.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और इजरायल दोनों ने चेतावनी दी है कि वे ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे. अमेरिका और इजरायल, दोनों को ही शक है कि सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम की आड़ में ईरान, परमाणु हथियार तैयार कर सकता है. इजरायल का ईरान से खफा होने का एक बड़ा कारण हूती विद्रोही भी हैं. इजरायल का आरोप है कि ईरान की मदद से यमन के हूती विद्रोही, लाल सागर में अमेरिका और इजरायल के जंगी जहाजों का निशाना बना रहे हैं.
हूती विद्रोहियों के खौफ से ही अमेरिका, इजरायल और दूसरे पश्चिमी देशों के कार्गो जहाज और ऑयल टैंकर (शिप) ने लाल सागर में आवाजाही बंद कर दी है. इसके कारण पश्चिमी देशों को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है, समुद्री-नौवहन पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है, क्योंकि अब सभी कार्गो जहाज, यूरोप से एशिया जाने के लिए केप ऑफ गुड होप यानी अफ्रीका से सटे समुद्री मार्ग से होकर गुजर रहे हैं.
ईरान भी चीन और रूस के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों को लेकर उत्साहित है. पिछले महीने ही चीन, रूस और ईरान की नौसेनाओं ने अरब सागर में एक साझा समुद्री युद्धाभ्यास किया था. इस युद्धाभ्यास को अमेरिका और इजरायल के किसी भी संभावित हमले के जवाब के तौर पर देखा गया था.