महबूबा मुफ्ती ने स्टालिन, ममता बनर्जी और सिद्धारमैया को लिखा लेटर
April 12, 2025
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि वे बढ़ते बहुसंख्यकवादी राजनीतिक माहौल के बीच भारतीय संविधान के मूलभूत मूल्यों के लिए खड़े रहें.
महबूबा मुफ्ती ने अपने बयान में पिछले एक दशक में देश में व्याप्त बहुसंख्यकवाद की बढ़ती लहर पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति भारत के बहुलता, विविधता और धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों के लिए एक गंभीर खतरा है. उन्होंने कहा, 'जबकि अधिकांश नागरिक इस विभाजनकारी एजेंडे को अस्वीकार करना जारी रखते हैं, जो लोग नफरत और बहिष्कार का प्रचार करते हैं वे अब सत्ता के पदों पर आसीन हैं
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि वे बढ़ते बहुसंख्यकवादी राजनीतिक माहौल के बीच भारतीय संविधान के मूलभूत मूल्यों के लिए खड़े रहें.
महबूबा मुफ्ती ने अपने बयान में पिछले एक दशक में देश में व्याप्त बहुसंख्यकवाद की बढ़ती लहर पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति भारत के बहुलता, विविधता और धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों के लिए एक गंभीर खतरा है. उन्होंने कहा, 'जबकि अधिकांश नागरिक इस विभाजनकारी एजेंडे को अस्वीकार करना जारी रखते हैं, जो लोग नफरत और बहिष्कार का प्रचार करते हैं वे अब सत्ता के पदों पर आसीन हैं
मुफ्ती ने आगे कहा कि ये घटनाक्रम अलग-थलग नहीं हैं, बल्कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन सहित अधिकारों के प्रणालीगत क्षरण के व्यापक पैटर्न का हिस्सा हैं. तीनों मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने पत्रों में, उन्होंने इस तरह के अन्याय के प्रति उनके निरंतर और साहसी विरोध को स्वीकार किया.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम ने कहा, 'इन अंधेरे और कठिन समय में, आपकी स्पष्टता, साहस और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता आशा की एक दुर्लभ किरण रही है. कुछ सिद्धांतवादी आवाज़ों के साथ, आपने भारत के समावेशी और लोकतांत्रिक विचार को बरकरार रखा है. मैं उन अनगिनत लोगों के प्रति अपना गहरा सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए लिख रही हूं जो आज आवाजहीन और हाशिए पर महसूस करते हैं. आपके निरंतर नेतृत्व और समर्थन के साथ, मुझे विश्वास है कि हम अपने संवैधानिक मूल्यों को पुनः प्राप्त कर सकते हैं और अपने साझा भविष्य की रक्षा कर सकते हैं.