- सांगीपुर में प्रभारी खण्ड विकास अधिकारी की अनुपलब्धता से खामियों में नहीं हो रहा सुधार
लालगंज/प्रतापगढ़। गोशालाओं में अव्यवस्था के साथ विकास कार्यो में शिथिलता को लेकर सांगीपुर ब्लाक में समस्या ज्यों कि त्यों बनी हुई देखी जा रही है। पिछले पांच पांच दिनों से ब्लाक मुख्यालय पर आने वाले फरियादी बीडीओ की खाली कुर्सी देखकर निराश देखे जा रहे हैं। डीएम ने पिछले सप्ताह तमाम खामियों को लेकर बीडीओ समेत कई कर्मचारियों की नकेल भी कसी। बावजूद इसके मंगलवार को भी सांगीपुर ब्लाक मुख्यालय पर अपरान्ह बेला तक बीडीओ की कुर्सी धूल फांकती नजर आयी। डीएम ने यहां डीसी मनरेगा अश्विनी सोनकर बीडीओ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। बावजूद इसके साहब हैं कि इन्हें न तो डीएम के फरमान का रत्ती भर असर है और न ही जनता की समस्याओं के निस्तारण या फिर विकास कार्यो की जरा सी भी फिकर। पांच पांच दिन हो गये डीएम के फरमान के बावजूद सांगीपुर में खण्ड विकास अधिकारी की कुर्सी साहब का बाट जोह रही है। बावजूद इसके कि सांगीपुर ब्लाक इन दिनों गोशालाओं में अव्यवस्था को लेकर खासी सुर्खिया बंटोरे हुए है। खण्ड विकास अधिकारी का प्रभार संभालने के बावजूद डीसी मनरेगा को मंगलवार के कामकाजी दिन भी ब्लाक आने की फुर्सत नही मिल सकी। अधिकांश फरियादी ब्लाक में बीडीओ साहब का इंतजार करते देखे गये। बीडीओ साहब की कुर्सी खाली देखकर यह लोग दोपहर बाद निराश होकर लौटने को मजबूर भी हुए नजर आये। जिलाधिकारी शिवसहाय अवस्थी कड़क मिजाज को लेकर मातहतो की लगातार लगाम कसने का हर जतन कर रहे हैं। डीएम ने गोशाला में अव्यवस्था देख यहां के तत्कालीन बीडीओ अभिषेक सिंह को पिछले सप्ताह मुख्यालय में सम्बद्ध कर दिया। सचिव पर डीएम की नाराजगी निलंबन की गाज बनकर सामने आयी। डीसी मनरेगा अश्विनी सोनकर लालगंज एवं रामपुर संग्रामगढ़ एवं बाबागंज में भी बीडीओ की कुर्सी संभाल चुके हैं। बाबागंज में भी बीडीओ के पद पर तैनाती के दौरान कमीशन के आरोप में अश्विनी सोनकर काफी घिरे भी थे। हालांकि प्रभारी बीडीओ डीसी मनरेगा अश्विनी सोनकर का देर शाम यह दावा सामने आया कि वह मंगलवार को रांकी, शुकुलपुर, मंगापुर आदि जगह गोशालाओं के निरीक्षण में गये थे। वहीं प्रभारी बीडीओ अश्विनी सोनकर से कुछ प्रधानों के मुताबिक फोन पर समस्या बताई गयी। इन प्रधानों के मुताबिक प्रभारी बीडीओ की वार्ता की शैली आपत्तिजनक सामने आयी। सांगीपुर ब्लाक में विकास योजनाओं को पटरी पर लाने के साथ अव्यवस्थाओं पर अंकुश लगाना भी जिला प्रशासन के लिए अहम सवाल बनकर सामने खड़ा है।