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अमेठीः हाईकोर्ट का आदेशः आज तक नहीं हुई कोई कार्रवाई ?


अमेठी। प्रदेश के पारंपरिक जल स्रोतों जैसे तालाबों, पोखरों, झीलों और नालों से अवैध कब्जा हटाने को लेकर 25 फरवरी 2005 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया गया था। कोर्ट ने साफ निर्देश दिए थे कि 1952 के वस्टिंग रिकॉर्ड के आधार पर सभी ग्राम सभाओं में मौजूद जल स्रोतों की पहचान कर, अतिक्रमण चिह्नित किया जाए और तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि तालाब, पोखरे, नाले आदि सार्वजनिक संपत्ति हैं और इन पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह पर्यावरण और जनहित के लिए भी घातक है। कोर्ट ने प्रशासन को निर्देशित किया था कि जल स्रोतों की भूमि से कब्जा हटाने के लिए राजस्व विभाग, ग्राम पंचायत, जिला प्रशासन, पर्यावरण और वन विभागों की संयुक्त टीम गठित की जाए। साथ ही, पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को भेजी जाए लेकिन इस आदेश को पारित हुए आज बीस वर्ष से अधिक हो चुके हैं और प्रदेश के किसी भी जिले में अब तक इस आदेश के अनुरूप कोई विस्तृत कार्रवाई नहीं हुई। हर ग्राम सभा में तालाब और जल स्रोतों पर कब्जा बना हुआ है, परंतु कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इसकी निगरानी या संज्ञान नहीं ले रहा। कई स्थानों पर तो तालाबों की पहचान ही मिटा दी गई है, कब्जाधारियों द्वारा पक्के निर्माण कर दिए गए हैं। शिकायतें भी अनसुनी रहीं, और शासनादेश सिर्फ फाइलों में दबकर रह गया। 

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