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नुसरत भरुचा को नहीं मिल रहे अच्छे रोल, एक्ट्रेस का छलका दर्द


नुसरत भरुचा को प्यार का पंचनामा और सोनू के टीटू की स्वीटी, ड्रीम गर्ल और छोरी जैसी फिल्मों में उनके दमदार अभिनय के लिए जाना जाता है. वह हमेशा अलग-अलग भूमिकाएं निभाने के लिए तैयार रहती हैं. हालांकि फैंस भी इस बात पर हैरान रहते हैं कि एक्ट्रेस ज्यादा फिल्मों में क्यों नहीं दिखाई देती हैं. वहीं एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने ग्लैमर के पीछे की कठोर सच्चाई के बारे में खुलकर बात की है.

दरअसल शुभांकर मिश्रा दिए एक इंटरव्यू में नुसरत भरुचा का सफल फिल्मोग्राफी के बावजूद अच्छे रोल्स ना मिल पाने को लेकर दर्द छलका. नुसरत ने भाई-भतीजावाद का भी आरोप लगाया और स्वीकार किया कि स्टार किड्स अक्सर उन जगहों तक पहुंच जाते हैं जहां वह नहीं पहुंच सकतीं. नुसरत ने खुलासा किया कि स्टार किड्स के उल्ट उन्हें बॉलीवुड में ज्यादा मौके नहीं मिले हैं.

इंटरव्यू में उन्होंने एक चौंकाने वाला पल भी शेयर किया. उन्होंने बताया कि एक करीबी दोस्त, जो एक निर्माता और लेखक है, ने एक बार उनसे पूछा कि उन्हें और ज्यादा फिल्मों के ऑफर क्यों नहीं मिल रहे हैं. उनके सवाल ने उन्हें हैरान कर दिया. नुसरत ने स्वीकार किया कि उन्हें खुद इसका कारण नहीं पता.

ता दें कि नुसरत भरुचा ने 2010 में सोनाक्षी सिन्हा और श्रद्धा कपूर के साथ अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन नुसरत को इन दो एक्ट्रेस के मुकाबले फेम नहीं मिला. इसे लेकर नुसरत ने कहा स्टार किड्स के पास एक किल्यर बेनिफिट है, क्योंकि वे या उनके परिवार पहले से ही इंस्ट्री में लोगों को जानते हैं. उन्होंने कहा, "उन्हें निश्चित रूप से एक फायदा है. वे इंडस्ट्री को जानते हैं, वे लोगों को जानते हैं. और अगर वे नहीं जानते, तो उनके माता-पिता जानते हैं. तो क्या होता है, वे उन जगहों पर पहुंच जाते हैं जहां मैं नहीं पहुंच सकती. वे ऐसे दरवाज़े खटखटा सकते हैं जिनका पता मुझे शायद पता भी न हो. अगर मैं किसी निर्देशक से मिलना चाहती हूं तो मुझे उसका नंबर कौन देगा? मैं निर्देशक का पता कहां से पूछूँ? यह एक बहुत ही व्यावहारिक समस्या है - लेकिन यह एक वास्तविक समस्या है.

नुसरत ने प्यार का पंचनामा के बाद एक पल को भी याद किया जब वह एक निर्देशक से संपर्क करना चाहती थीं, जिनकी वह प्रशंसा करती थीं, लेकिन उनका नंबर या पता नहीं मिल पा रहा था. एक्ट्रेस ने कहा, "मुझे नहीं पता था कि किसे कॉल करना है, कहाँ जाना है, उस समय, मैंने कबीर खान को काम के लिए मैसेज किया और उन्होंने जवाब दिया और मिलने के लिए रेडी हो गए. इससे मेरा महीना बन गया. निर्देशक का नंबर पाना या मीटिंग सेट करना बहुत मुश्किल है. यह उन लोगों के लिए बहुत कठिन रास्ता है जो इंडस्ट्री से नहीं हैं.

मुझे उन्हें 'नेपो किड्स' कहना पसंद नहीं है क्योंकि उनके अपने संघर्ष हैं. लेकिन हाँ, उन्हें वो रास्ते मिल जाते हैं जो हमें नहीं मिलते. शायद यह मेरे लिए सबसे कठिन रास्ता रहा हो. मैं उन लोगों को महत्व देती हूं जो मेरे साथ काम करना चाहते हैं. मैं उन्हें परिवार की तरह अपने करीब रखती हूं. मुझे और भी कई मौके चाहिए होते - 'नहीं' के बजाय 'हाँ' लेकिन मैं अभी भी अपनी फिल्मों से बहुत खुश हूं.

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