बाबा साहेब अंबेडकर ने इस ब्राह्मण लड़की से की दूसरी शादी! नाराज हो गया था परिवार
April 14, 2025
आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले डॉ. बाबासाहब भीमराव अंबेडकर देश के सबसे महान और प्रभावशाली नेताओं में से एक माने जाते हैं. भीमराव अंबेडकर ने बचपन से ही जातिगत भेदभाव और छुआछूत का दर्द झेला. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपना पूरा जीवन समाज से छुआछूत और भेदभाव खत्म करने के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने महसूस किया कि देश की बड़ी आबादी को केवल उनकी जाति के आधार पर शिक्षा, सम्मान और विकास से दूर रखा जा रहा है. इसी को बदलने के लिए उन्होंने संविधान में ऐसा प्रावधान किया जिससे हर जाति के लोगों को शिक्षा और नौकरी में बराबरी का अधिकार और आरक्षण मिल सके.
रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 15 अप्रैल 1948 को अपनी दूसरी शादी डॉ. सविता कबीर से की. सविता एक ब्राह्मण परिवार से थीं और उनकी डॉक्टर थीं. यह शादी डॉ. अंबेडकर की पहली पत्नी रमाबाई के निधन के बाद हुई. इस शादी से उनके परिवार और कुछ सहयोगी नाराज़ हो गए, क्योंकि सविता अलग समुदाय से थीं. यह नाराज़गी लंबे समय तक रही. 6 दिसंबर 1956 को डॉ. अंबेडकर के निधन के बाद उनके परिवार ने सविता पर कुछ आरोप लगाए. इनमें संपत्ति और व्यक्तिगत मतभेदों से जुड़े दावे शामिल थे. हालांकि, ये आरोप सार्वजनिक रूप से ज्यादा चर्चित नहीं हुए.
डॉ. सविता कबीर पुणे के एक मराठी ब्राह्मण परिवार से थीं. वे बहुत पढ़ी-लिखी थीं. पुणे में शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने मुंबई से एमबीबीएस किया. 1947 में, जब वे 38 साल की थीं, उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर का इलाज शुरू किया. उस समय डॉ. अंबेडकर 56 साल के थे. इलाज के दौरान दोनों करीब आए.
1940 के दशक के अंत में डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान बना रहे थे. तब उनकी सेहत खराब रहने लगी. उन्हें नींद नहीं आती थी और पैरों में दर्द रहता था. इंसुलिन और होम्योपैथिक दवाओं से थोड़ी राहत मिलती थी. डॉक्टरों ने सलाह दी कि उन्हें ऐसे साथी की जरूरत है जो उनकी देखभाल कर सके और मेडिकल ज्ञान भी रखता हो. डॉ. सविता पूरी मेहनत से उनका इलाज करती थीं. धीरे-धीरे उनकी नजदीकी बढ़ी. डॉ. अंबेडकर ने सविता से शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. 15 अप्रैल 1948 को दिल्ली में डॉ. अंबेडकर के घर पर दोनों की शादी हुई.
डॉ. सविता ने पूरी निष्ठा से डॉ. अंबेडकर की देखभाल की. वे उनकी सेवा में हमेशा लगी रहीं. डॉ. अंबेडकर खुद उनकी मेहनत और समर्पण की तारीफ करते थे. सविता ने उनके सामाजिक कार्यों को भी समर्थन दिया.