बाराबंकीः आक्रोशः 300 साल पुराने नीम वृक्ष की कटाई से भड़का जनाआक्रो आस्था और पर्यावरण दोनों पर चला कुल्हाड़ी का वार
April 20, 2025
बाराबंकी। तीर्थनगरी लोधेश्वर महादेवा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लोधौरा ग्राम पंचायत में एक तीन सौ वर्ष पुराने ऐतिहासिक नीम के वृक्ष की कटाई ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। धार्मिक महत्व और पर्यावरणीय संतुलन से जुड़ा यह प्राचीन वृक्ष अब केवल स्मृति बनकर रह गया है, जिसे ठेकेदार द्वारा काटे जाने के बाद ग्रामीणों में गहरा आक्रोश फैल गया है।
स्थानीय संत नाथ कुटी के महंत रामनाथ ने इसे “महापाप” बताते हुए कहा, नीम के वृक्षों में देवी-देवताओं का वास होता है, इसकी कटाई न केवल पेड़ का अपमान है बल्कि जनआस्था की भी अवहेलना है।
ग्रामीणों ने बताया कि यह विशाल वृक्ष विनोद कुमार वर्मा के घर के पास स्थित था और इसकी कटाई के लिए ठेकेदार अकबर अली द्वारा बाकायदा क्रेन बुलवाई गई थी। पूरे क्षेत्र की पहचान माने जाने वाले इस वृक्ष को कुछ घंटों में ही जड़ से साफ कर दिया गया।
जब ठेकेदार से संपर्क किया गया तो उन्होंने फतेहपुर रेंज से अनुमति लेने का दावा करते हुए कहा कि उन्होंने छह हजार रुपये खर्च कर कागजात बनवाए थे। वहीं रेंजर प्रमोद सिंह सोमवंशी ने भी पुष्टि की कि कटाई की अनुमति विधिवत ली गई थी क्योंकि यह वृक्ष आबादी क्षेत्र में आता था।
हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह मामला वन विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत का परिणाम है। एक जागरूक ग्रामीण ने बताया, “बिना मिलीभगत के इतना पुराना वृक्ष नहीं काटा जा सकता, यह साफ तौर पर नियमों की अनदेखी है।”इस मामले पर डीएफओ आकाशदीप बधावन ने कहा जांच शुरू कर दी गई है। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।वृक्ष की कटाई ने जहां धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, वहीं यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या विकास और व्यावसायिक लाभ के आगे हमारी आस्था, पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की कोई कीमत नहीं रह गई?अब सवाल यह है कि प्रशासन की जांच सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगी या दोषियों पर सख्त कार्रवाई कर कोई नजीर पेश की जाएगी। ग्रामीणों की निगाहें अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।