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Sonebhadra: प्रशासनिक लापरवाही के कारण फ्लोरोसिस से हो रहे विकलांग - एआईपीएफ।

फ्लोरोसिस से बचाव के लिए बहुआयामी पहल की जरूरत 
सोनभद्र। फ्लोरोसिस के कारण जनपद में हो रही बड़े पैमाने पर विकलांगता नई बात नहीं है। यह कई सालों से जारी है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और पर्यावरण विभाग के निर्देशों के बावजूद सालों से खराब पड़े वाटर फिल्टरों को भी ठीक करने की जहमत उठाना शासन और प्रशासन ने जरूरी नहीं समझा। यह आरोप ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्रेस को जारी अपने बयान में लगाया है। एआईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि फ्लोरोसिस की विकलांगता के संबंध में कई बार पत्र हमने उत्तर प्रदेश शासन और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दिए थे। जिन पर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित भी किया गया था। खुद जिला प्रशासन के जल निगम द्वारा कराई जांच में जनपद के सैकड़ो विद्यालयों के हैंडपंपों में फ्लोराइड की मात्रा का ज्यादा होना आया था। म्योरपुर से लेकर चोपन तक तमाम गांव में फ्लोराइड रिमूवल के लिए जो वाटर फिल्टर लगाए गए थे वह वर्षों से खराब पड़े थे। जिन्हें ठीक करने की भी अपील की गई थी। लेकिन इस दिशा में प्रशासन ने कोई पहल नहीं की। यही नहीं हालत यह है कि इन क्षेत्रों में कुपोषण से मुक्त करने का भी कोई प्रयास प्रशासनिक स्तर पर नहीं किया गया। आज मंडल और जिले के आला अधिकारियों द्वारा इन गांवों का निरीक्षण करना बेहतर है और अब उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रशासन इन गांवों के लिए बहुआयामी पहल लेगा। उन्होंने मांग की कि फ्लोराइड प्रभावित गांवों के लोगों को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए पोषाहार, आर्थिक मदद, साफ पानी के लिए वाटर रिमूवल प्लांट, मल्टीविटामिन दवाएं और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया जाए।

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