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लखनऊ: आर एम पैथोलॉजी में ऑन्कोपैथोलॉजी स्लाइड सेमिनार और ऑन्कोपैथोलॉजी अपडेट सीएमई का आयोजन किया गया


लखनऊ। कैंसर के सटीक निदान और शोध को नई दिशा देने के उद्देश्य से आर एम एल पैथोलॉजी, निरालानगर, लखनऊ में ऑन्कोपैथोलॉजी स्लाइड सेमिनार और ऑन्कोपैथोलॉजी अपडेट सीएमई का आयोजन किया गया। इस  दो दिवसीय कार्यक्रम में देशभर से आए प्रमुख पैथोलॉजिस्टों, शोधकर्ताओं और स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया।इस कार्यक्रम का उद्घाटन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ की कुलपति और पद्म श्री सम्मानित डॉ. सोनिया नित्यानंद के कर-कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रमुख हिस्टोपैथोलॉजिस्ट डॉ. अनीता बोर्गेस विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहीं।आर एम एल पैथोलॉजी के निदेशक डॉ. बंदना मेहरोत्रा, डॉ. संजय मेहरोत्रा और डॉ. सुप्रिया मेहरोत्रा ने अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित कैंसर विशेषज्ञों और पैथोलॉजिस्टों ने हिस्सा लिया, जिनमें टीएमएच मुंबई से डॉ. सुमीत गुजराल, डॉ. मुनिता बाल, डॉ. असावरी पाटिल, एसजीपीजीआई लखनऊ से डॉ. खलीकुर रहमान और डॉ. नुजहत हुसैन जैसी चिकित्सा जगत की बड़ी हस्तियां शामिल रहीं।उद्घाटन सत्र में डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कैंसर के सटीक निदान में आणविक पैथोलॉजी (डवसमबनसंत च्ंजीवसवहल) के बढ़ते महत्व पर जोर दिया और इस क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता बताई। वहीं, डॉ. अनीता बोर्गेस ने कैंसर के उपचार को प्रभावी बनाने के लिए ऑन्कोपैथोलॉजिस्टों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।विशेषज्ञों के साथ स्लाइड सफारीष् थीम पर आयोजित इस स्लाइड सेमिनार में प्रतिभागियों ने जटिल मामलों पर गहन चर्चा की। हेमेटोपैथोलॉजी (रक्त कैंसर), हेड एंड नेक पैथोलॉजी (गले और सिर से जुड़े कैंसर) और ब्रेस्ट पैथोलॉजी (स्तन कैंसर) जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने केस स्टडीज के माध्यम से अपने अनुभव साझा किए।यह कार्यक्रम न केवल ऑन्कोपैथोलॉजी के क्षेत्र में नवीनतम शोध और तकनीकी विकास पर केंद्रित रहा, बल्कि प्रतिभागियों को केस-आधारित शिक्षण (ब्ंेम-ठंेमक स्मंतदपदह) का व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान किया।विशेषज्ञों और छात्रों के बीच संवादात्मक चर्चाओं ने कैंसर निदान और उपचार की नई संभावनाओं के द्वार खोले। इस दौरान तकनीकी नवाचार, सटीक डायग्नोस्टिक्स और कैंसर से जुड़ी नई चिकित्सा पद्धतियों पर भी प्रकाश डाला गया।आर एम एल पैथोलॉजी के निदेशक डॉ. बंदना मेहरोत्रा और डॉ. संजय मेहरोत्रा ने कहा किहमारी कोशिश रहेगी कि हर 6 महीने से 1 साल के भीतर इसी तरह के राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार और सीएमई आयोजित किए जाएं। इससे एडवांस विषयों पर देश के विशेषज्ञों के साथ चर्चा होगी और रोगों के सटीक निदान तथा अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा मिलेगा।इस सफल आयोजन ने चिकित्सा शिक्षा में एक नई दिशा स्थापित की है, जो भविष्य में ऑन्कोपैथोलॉजी के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को और अधिक गति प्रदान करेगा। इस सेमिनार से जुड़े अनुभव और ज्ञान न केवल वर्तमान चिकित्सकों के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होंगे।

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