लखनऊ । मोहनलालगंज क्षेत्र के असली गढ़ी गांव में स्थित मन कमाने स्वर मंदिर में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन सनिवार को पंडित श्रवण कुमार द्विवेदी महाराज की ओर से कथा का वाचन किया गया। जिसमें तवाव सहित आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
इस अवसर पर पंडित श्रवण कुमार द्विवेदी महाराज ने कहा कि इंसान को क्रोध में किसी प्रकार का निर्णय नहीं लेना चाहिए, क्योंकि क्रोध में लिया गया निर्णय नकारात्मक होता है। नकारात्मक निर्णय से इंसान को पूरी जिंदगी पछतावा करना पड़ता है। महाराज ने कहा कि इंसान को बड़े कार्य करने से पहले उस पर सौ बार मंथन करना चाहिए। मंथन के बाद किए गए कार्य को लेकर बाद में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। महाराज ने कहा कि राजा परिक्षत ने क्रोध में आकर बिना विचारे श्रमिक ऋषि के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया था, जिससे नाराज ऋषि पुत्र ने सात दिन के भीतर नाग के डसने से उसकी मौत होने का श्राप दिया था। जिसकी खबर राजा परिक्षत तक पहुंचने के बाद वे चिंता में पड़ गए। तब उन्हें अहसास हुआ कि क्रोध में आकर किए गए कार्य की वजह से उन्हें मृत्यु का श्राप मिला है। महाराज ने कहा कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम के बारे में भी सोचना चाहिए। जल्दबाजी में वाहन को तेज चलाना दुर्घटना को आमंत्रण देने के समान होता है। उन्होंने इंसान को जीवनरुपी गाड़ी को संभलकर चलाने की नसीहत दी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
पंडित श्रवण कुमार द्विवेदी जी महाराज में आयोजित भागवत कथा का वाचन करते संत बाबा शिवमंगल अवधेश द्विवेदी अभिषेक दुबे संजू पांडे गिरधारी लाल आदि ग्राम वासियी उपस्थित रहे।