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प्रतापगढ़ : अनंत ऊर्जा की स्रोत हैं माँ भगवती नवदुर्गा - शांडिल्य दुर्गेश


प्रयागराज/प्रतापगढ़। प्रकृति व शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माँ भगवती नवदुर्गा में गहरी आस्था व गूढ़ जानकारी रखने वाले शांडिल्य दुर्गेश ने भगवती के स्वरूप को विज्ञान के माध्यम से स्पष्ट करने का एक प्रयास किया है। शांडिल्य दुर्गेश के अनुसार यदि क्वांटम भौतिकी के दृष्टि से देखा जाये तो ब्रह्मांड ऊर्जा का एक जाल है।देवी दुर्गा को ऊर्जा का अनंत स्रोत माना जाता है और उनका ध्यान,जप इत्यादि ऊर्जा के इस जाल से जुड़ने का एक तरीका है।नवरात्रि के दौरान,भक्त बीज मंत्रों का जप करते हैं,जो तरंग(कंपन)पैदा करते हैं।ये कंपन ऊर्जा के जाल में गूंजते हैं और माना जाता है कि वे सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।जब हम ॐ का उच्चारण या दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं तो यह ध्वनि तरंगें हमारे चारो तरफ कम्पन उत्पन्न करती हैं,क्वांटम भौतिकी में इसे स्ट्रिंग वाइब्रेशन कहा जाता है,जिसमें कम्पन से ऊर्जा उत्पन्न होती है।नवरात्रि में नवदुर्गा की आराधना ऊर्जा,तरंग कण द्वैतता और चेतना सिद्धांत से गहराई से जुड़ी है।माँ दुर्गा को प्रकृति का स्वरूप माना जाता है जो अनंत और असीम है।प्रकृति की तरह उनकी भी ऊर्जा कभी समाप्त नहीं होती है।जिस प्रकार प्रकृति अपना रूप बदलती रहती है उसी प्रकार माँ दुर्गा के भी कई रूप हैं।भारतीय दर्शन में, ऊर्जा को तीन गुणों में विभाजित किया गया है जो सात्विक (शुद्ध), राजसिक (गतिशील) और तामसिक (अंधकारमय) है।माँ दुर्गा को इन तीनों गुणों का संतुलन माना जाता है जो ब्रह्मांड में समन्वय बनाये रखती हैं।

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