म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्रों में एक अराजक और दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां सैकड़ों पाकिस्तानी युवा ऑनलाइन घोटालों के जाल में फंस गए हैं. इन युवाओं को थाईलैंड में आकर्षक नौकरियों के वादे के साथ फंसाया गया और फिर उन्हें म्यांमार के साइबर अपराध केंद्रों में काम करने के लिए मजबूर किया गया. इन घोटाला केंद्रों का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों से अरबों डॉलर ठगना है.
जियो न्यूज कि रिपोर्ट के मुताबिक इन पाकिस्तानी युवाओं को थाईलैंड में अच्छे वेतन वाली नौकरियों का झांसा दिया गया था, लेकिन उनके आगमन पर उन्हें म्यांमार-थाईलैंड सीमा के पास जबरन श्रम शिविरों में भेज दिया गया. यहां उनसे धोखाधड़ी वाली क्रेडिट कार्ड योजनाओं, ऑनलाइन घोटालों और क्रिप्टोकरेंसी अपराधों जैसी अवैध गतिविधियों में काम करवाया गया. इन केंद्रों के मालिकों ने उनके पासपोर्ट और मोबाइल फोन जब्त कर लिए, जिससे वे बाहर की दुनिया से पूरी तरह से कट गए.
इन युवाओं को भारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें शारीरिक शोषण, मानसिक यातना और बिना वेतन के जबरन श्रम शामिल था. उन्हें अपने परिवार से किसी भी प्रकार की बातचीत से दूर रखा गया, जिससे उनकी स्थिति और भी भयावह हो गई. म्यांमार के उग्र सिविल वॉर के कारण इन घोटाला केंद्रों से निपटने के प्रयास भी जटिल हो गए हैं, क्योंकि ये क्षेत्र म्यांमार की सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, म्यांमार में 120,000 से अधिक लोग अपनी इच्छा के विरुद्ध इन घोटाला केंद्रों में काम कर रहे हैं, जिनमें अधिकांश चीनी पुरुष शामिल हैं. ये घोटाला केंद्र विदेशी कर्मचारियों का उपयोग करके सोशल मीडिया पर रोमांस या निवेश घोटालों के माध्यम से लोगों से ठगी करते हैं. गिरोह उच्च वेतन वाली नौकरियों का झांसा देकर लोगों को फंसाते हैं और फिर उन्हें जबरन साइबर अपराधों में धकेल देते हैं.
इन जबरन श्रम शिविरों से बचने के लिए ग्यारह पाकिस्तानी युवकों ने नदी पार करके थाईलैंड भागने का साहस किया, लेकिन यह प्रयास दुखद साबित हुआ. इनमें से पांच युवक नदी में डूब गए, जबकि छह सुरक्षित रूप से थाईलैंड पहुंचने में सफल रहे. बाद में, पाकिस्तानी दूतावास के हस्तक्षेप से बचे हुए युवकों को सुरक्षित रूप से पाकिस्तान वापस भेजा गया, जिससे उनकी भयानक पीड़ा समाप्त हुई.
थाईलैंड में पाकिस्तानी उच्चायुक्त रुखसाना अफजल ने बताया कि दूतावास म्यांमार में फंसे अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को निकालने के लिए निरंतर काम कर रहा है. उन्होंने थाईलैंड की यात्रा पर गए सीनेट के उपाध्यक्ष सैयदाल खान नासिर को इस मामले की जानकारी दी. उन्होंने वित्तीय बाधाओं के कारण बंधकों को छुड़ाने में आ रही कठिनाइयों के बारे में भी अवगत कराया.
सीनेट के उपाध्यक्ष ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नीति के अनुसार कोई भी पाकिस्तानी अवैध रूप से विदेश में नहीं रहना चाहिए. अगर कोई वहां फंस गया है, तो उसे सम्मानपूर्वक वापस लाया जाएगा. उन्होंने इस मामले को प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के संज्ञान में लाने का वादा किया, ताकि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा सके.