भारत के 45 करोड़ लोगों पर मंडरा रहा है खतरा, चौंकाने वाली है नई रिपोर्ट
March 04, 2025
पिछले 10-15 सालों में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ा है। अनहेल्दी खानेपीने के बढ़ते चलन और फास्ट फूड की वजह से हार्ट, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अब द लैंसेट की एक नई रिपोर्ट ने चिंताजनक तस्वीर पेश की है, जिसमें कहा गया है कि आने वाले 2050 तक भारत में 25 साल से ज्यादा उम्र के मोटे या अधिक वजन वाले लोगों की संख्या 450 मिलियन यानि करीब 45 करोड़ हो सकती है। इस लिस्ट में चीन सबसे पहले नंबर पर है जहां 2050 तक 627 मिलियन से ज्यादा लोग मोटापे के शिकार होंगे। वहीं अमेरिका में ओवेसिटी से ग्रस्त लोगों की संख्या 214 मिलियन तक पहुंच जाएगी।
रिसर्च में कहा गया है कि अगर सबकुछ ऐसे ही चलता रहा है तो वैश्विक स्तर पर दुनिया भर में 25 साल से ज्यादा उम्र के करीब 3.8 बिलियन लोग मोटापे के शिकार हो सकते हैं। जो एक अनुमान के मुताबिक उस समय की दुनियाभर की युवाओं की आबादी के आधे से अधिक होंगे। इस आंकड़े में से 1.95 बिलियन लोगों के मोटे होने का अनुमान है। वहीं उप-सहारा अफ्रीका के सुपर एरिया में रहने वाले लोगों में मोटापे से परेशान लोगों की संख्या में 254.8 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है।
साल 2021 तक के आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में कुल 2.11 बिलियन युवा मोटे या अधिक वजन वाले पाए गए। जिसमें से 1 बिलियन पुरुष और 1.11 बिलियन महिलाएं थीं। इसमें चीन में करीब 402 मिलियन लोग मोटे पाए गए। भारत में 180 मिलियन लोगों को मोटापे का शिकार पाया गया और अमेरिका में 172 मिलियन लोगों पर मोटापे का असर देखा गया।
अध्ययन में कहा गया है कि चीन, भारत और अमेरिका में मोटे या अधिक वजन वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। लेकिन ऐसे कई देश हैं जहां मोटे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ चीन, अमेरिका, ब्राजील, रूस, मैक्सिको, इंडोनेशिया और मिस्र जैसे देशों की आधी आबादी मोटापे की ओर बढ़ रही है। जिसका बड़ा कारण फास्ट फूड को माना जा रहा है।
फास्ट फूड के मामले में भारत के साथ कैमरून और वियतनाम जैसे तीन देश शामिल हैं जहां 2009 और 2019 के बीच प्रति व्यक्ति अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड और ड्रिंक्स की बिक्री में सबसे ज्यादा सालाना वृद्धि देखी गई है। ये चीजें मोटापे का सबसे बड़ा कारण बन रही हैं। अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो एक बड़ी आबादी गंभीर बीमारियों की गिरफ्ट में होगी।