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तीन बार का सांसद, कई सामाजिक कल्याण के काम किए-सज्जन कुमार


साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे के मामले में दोषी पाए गए पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुना दी गई है. राऊज एवन्यू कोर्ट ने मंगलवार (25 फरवरी) दोपहर यह फैसला सुनाया. इस सजा के पहले सज्जन कुमार ने कोर्ट में कम से कम सजा मिले, इसके लिए कई दलीलें दीं. वह अपनी उम्र का हवाला देकर भी गिड़गिड़ाए.

सज्जन कुमार ने कोर्ट में दाखिल लिखित दलीलों में कहा,  मैं 80 साल का हो चला हूं. बढ़ती उम्र के साथ कई बीमारियों से जूझ रहा हूं. पर्किंसन बीमारी है, जिसके चलते झटके आते रहते हैं, मांसपेशियों में खिंचाव रहता है, चलने फिरने में दिक्कत होती है. मैं हाइपोनेट्रिमिया से भी पीड़ित हूं, जिसके कारण मानसिक हालत ठीक नहीं रहती. कई बार इसके चलते मुझे दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल भी ले जाया गया है. मैं अपना खुद का ध्यान रख पाने में असमर्थ हूं. रोजमर्रा के कामों के लिए किसी के हमेशा साथ रहने की जरूरत पड़ती है.'

सज्जन कुमार ने कहा, 'मैं 2018 से जेल में बंद हूं. उसके बाद से मुझे कोई परोल भी नहीं मिला है. मैं जब से जेल में गया हूं तब से अपनी पत्नी से नहीं मिला हूं जो कि इस वक्त गंभीर बीमारी से पीड़ित है, न ही बच्चों और पोते-पोतियों से मिल सका हूं. मैं एक सामाजिक आदमी हूं और लोगों से अच्छे से जुड़ा हुआ हूं.'

सज्जन कुमार ने फांसी की सजा की मांग के खिलाफ दलील देते हुए कहा, '1984 के दंगों के बाद किसी भी आपराधिक मामले में मेरा नाम शामिल नहीं रहा है. जेल में ट्रायल के दौरान मेरा व्यवहार हमेशा ठीक रहा. मेरे खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं मिली. यानी मुझ में सुधार हुआ है. मैंने इस तरह का कोई काम नहीं किया जिससे ऐसा प्रतीत हो कि मुझे दुनिया में रहने का हक नहीं होना चाहिए. इस मामले में मुझे फांसी की सजा देने का कोई आधार नहीं बनता. यह केस दुर्लभतम मामलों में से एक नहीं है

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