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हिस्सेदारी को लेकर बड़ा, दिल करे सभी दल और सरकार


मैं बधाई देना चाहता हूं देश भर के सभी राजनीतिक दलों को  खासकर वर्तमान में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी के उन नेताओं को जिन्होंने बिहार राज्य में ईमानदारी निष्ठा व सुचिता एवं सादगी की मिसाल कायम करने वाले दो-दो बार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान से नवाजने का काम किया है। हालांकि इसकी मांग अन्य दल भी समय-समय पर करते रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने देर आयद दूरस्थ आयद का रास्ता अपनाकर देश के समस्त ओबीसी को सम्मानित करने का कार्य क्या है क्योंकि जिन्हें बिहार में पहले से ही जननायक की उपाधि से नवाजा गया है उन्होंने कभी अपनी जाति की राजनीति न करके जमात की राजनीति करने का काम किया था इतना ही नहीं उन्होंने स्वर्ण जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण देने का काम किया था सादगी और सज्जनता की प्रतिमूर्ति कर्पूरी ठाकुर जी का ही जज्बा रहा होगा कि उन्होंने सामंतवादी व्यवस्था के चलते बिहार के युवाओं को अंग्रेजी की अनिवार्य खत्म कर आईएएस आईपीएस बनाने का मार्ग प्रशस्त किया यदि वे चाहते तो केवल ओबीसी या अनुसूचित जाति के लिए ही यह व्यवस्था बना सकते थे लेकिन उन्होंने सामाजिक धार्मिक और जातिगत राजनीतिक भेदभाव  से ऊपर उठकर समस्त गरीबों के लिए व्यवस्था बनाने का काम किया था,  मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि भले ही उनके नाम पर अपनी सरकार बनाने एवं ओबीसी वोटो की बदौलत देश भर में सरकार चलाने वाले चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस अथवा राज्य स्तर के सभी दल कर्पूरी, कर्पूरी कहते नजर आते हो लेकिन किसी ने जनसंख्या अनुपात में सरकारी या अर्ध सरकारी अथवा अपनी पार्टी में हिस्सेदारी देने का काम नहीं किया और तो और जब-जब मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तब भी ओबीसी के साथ भेदभाव किया गया जबकि ईमानदारी की बात करें तो आज देशभर में कोई राज्य ऐसा नहीं है जिसमें पिछड़ा-अति पिछड़ा अनुसूचित जाति अथवा अल्पसंख्यकों का 85ः वोट से कम हो लेकिन जातिगत जनगणना तो क्या हो पाती धीरे-धीरे आरक्षण पर भी  कुठाराघात किया जाता रहा है सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक आधार पर बनाई गई आरक्षण की इस संवैधानिक व्यवस्था पर सबसे ज्यादा चोट वर्तमान सरकार में की जा रही है जिस कारण गरीबी उन्मूलन अभियान बन चुके आरक्षण का इन हालातों में लंबे समय तक टिक पाना मुश्किल है जबकि प्रत्येक विभाग का ब्योरा इकट्ठा किया जाए तो यह दावा करना गलत नहीं होगा कि चाहे देश भर की यूनिवर्सिटी हो या अन्य विश्वविद्यालय चाहे आईएएस आईपीएस की नौकरी हो या पीसीएस पी पीएस की चाहे धन धरती शिक्षा सम्मान का मामला हो या उद्योग-जगत अथवा मीडिया का, चाहे न्यायपालिका का मामला हो या अन्य किसी भी क्षेत्र का हर जगह इस बड़े वोट के साथ अन्याय किया जाता रहा है जो आज भी वह दस्तूर जारी है मैं कहना चाहता हूं वर्तमान में तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से कि यदि आपने वास्तव में कर्पूरी जी का सम्मान रखते हुए उन्हें भारत रत्न से नवाजा है तो क्यों ने बिहार की जनगणना को देशभर का आंकड़ा मानकर सभी जातियों के लोगों को लोकसभा चुनाव में प्रतिनिधित्व देने का काम करें ताकि ऐसा करने से प्रत्येक जाति धर्म को अपने अपने समाज का प्रतिनिधित्व करने का मौका भी मिलेगा और सरकार को भी बेबुनियाद आरोपों से मुक्ति मिल जाएगी।मैं कांग्रेस के नेताओं के राहुल गांधी सपा के  अखिलेश यादव  और बसपा नेता मायावती जी से भी कहना चाहता हूं कि वह भी अपनी पार्टियों में जनसंख्या अनुपात में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देकर कर्पूरी जी के सपनों को साकार करें मैं दावे के साथ कह सकता सभी का यह फैसला दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश में ही नहीं दुनिया में नजर आएगा, लेकिन इसके लिए सभी दलों को छाती पर पत्थर रखकर फैसला लेना होगा वह डर भी निकालना होगा जिसमें कहा जाता है कि यदि सामान्य जाति के अलावा पिच्चासी प्रतिशत को शासक बना दिया तो यह हट नहीं पायेंगे। वरना भारत रत्न तो क्या चाहे कितने भी बड़े रत्न से नवाज दो या एक लाख बीघा में किसी कर्पूरी ठाकुर जी की समाधि बनवा दो लेकिन उनके सपनों का भारत तैयार नहीं हो पाएगा।वह तो तभी तैयार होगा जब जनसंख्या अनुपात में प्रत्येक क्षेत्र हिस्सेदारी हर किसी की हिस्सेदारी होगी या यूं कहें सर्वाधिक वोट वाला शासक होगा। फिर देखो डाक्टर अम्बेडकर, जननायक कर्पूरी ठाकुर, मान्यवर कांशीराम अटल बिहारी वाजपेई सहित देश में अपना नाम रोशन कर चुके और देश को आजादी दिलाने वाले सभी की आत्मा खुश होकर कहेगी कि अब हमारे सपनों का भारत तैयार होने लगा है जो जल्दी से खुशहाली की श्रेणी में नजर आऐगा किसी गरीब को बच्चे पढ़ाने रोजी रोटी रोजगार धन धरती शिक्षा सम्मान के लिए तरसना नहीं पड़ेगा। इसी के साथ अपने पाठकों से विदाई लेता हूं नमस्कार।

विनेश ठाकुर, सम्पादक-विधान केसरी ,लखनऊ

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