दफ्तर में काम करते समय अकसर कर्मचारियों को झपकी आती है, लेकिन उन्हें ऑफिस में काम के दौरान झपकी लेने से डर लगता है कि कहीं बॉस को दिक्कत न हो जाए और वो नौकरी से ही निकलवा दे. अगर आपको भी ऐसा ही डर लगता है तो कर्नाटक हाई कोर्ट का ये फैसला आपको जरूर पढ़ना चाहिए.
कर्नाटक के एक कांस्टेबल चंद्रशेखर का पावर नैप लेते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तो उसे नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया. जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि संविधान के तहत लोगोंको सोने और आराम करने का अधिकार है. जज ने समय-समय पर आराम और नींद के महत्व पर भी जोर दिया. जस्टिस ने कह कि इस मामले में याचिकाकर्ता के ड्यूटी के दौरान सोने में कोई गलती नहीं मानी जा सकती है.
चंद्रशेखर कर्नाटक राज्य परिवहन निगम (KKRTC) में एक ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल के रूप में तैनात थे. सस्पेंड किए गए चंद्रशेखर ने अपनी याचिका में कहा कि लगातार दो महीने तक 16 घंटे की शिफ्ट करने के बाद 10 मिनट की झपकी लेने की वजह से मुझे निलंबित कर दिया. कोर्ट न केकेआरटीसी द्वारा जारी निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है. जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि केकेआरटीसी प्रबंधन ने ही गलती की थी क्योंकि उन्होंने कांस्टेबल को बिना ब्रेक के दो महीने तक एक दिन में दो शिफ्ट करने के लिए मजबूर किया.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को वेतन समेत सभी लाभ मिलेंगे. अगर याचिकाकर्ता न एक शिफ्ट में ड्यूटी के दौरान सोया होता तो ये गलत होता. जज ने कहा कि याचिकाकर्ता को बिना ब्रेक के 60 दिनों तक एक दिन में 16 घंटे काम करने को मजबूर किया गया. चंद्रशेखर ने 13 मई, 2016 को कोप्पल डिवीजन में केकेआरटीसी कांस्टेबल के रूप में नौकरी जॉइन की थी. 23 अप्रैल 2024 को एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि उसे ड्यूटी के दौरान सोते हुए पाया गया. उसके बाद एक जुलाई, 2024 को चंद्रशेखर को सस्पेंड कर दिया गया.
जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि एक घंटे में काम के आठ दिन होते हैं. भारी काम के बोझ के कारण चंद्रशेखर को दो शिफ्ट में काम करने के लिए कहा गया था. मानवाधिकारों की घोषणा के अनुच्छेद 24 में कहा गया है कि सभी को आराम और छुट्टी का अधिकार है, जिसमें काम के घंटों की उचित सीमा और वेतन के साथ-साथ समय-समय पर छुट्टियां शामिल हैं. काम के घंटे एक हफ्ते में 48 घंटे और एक दिन में 8 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए, सिवाय असाधारण परिस्थितियों के.