सनातन धर्म में दत्तात्रेय जयंती का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय का जन्म होने के कारण, हर साल इस दिन को उत्साह से मनाया जाता है। साल 2025 में दत्तात्रेय जयंती का पर्व 4 दिसंबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस पर्व को दत्त जयंती (Datta Jayanti 2025) के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का संयुक्त अवतार बताया गया है। मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा से त्रिदेवों की आराधना के बराबर का फल प्राप्त किया जा सकता है।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली यह जयंती भक्तों के लिए आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त करने का एक विशेष अवसर है। मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर इनकी आराधना करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है। इस शुभ दिन पर गंगा नदी में स्नान और पूर्वजों का तर्पण करने से पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि दत्तात्रेय का जन्म ऋषि अत्रि और माता अनुसूया के घर हुआ। वहीं, दत्तात्रेय जी अपने 24 गुरुओं के कारण प्रसिद्ध हैं। ऐसा कहा जाता है कि दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा ग्रहण किया था।
मार्गशीर्ष माह 2025 पूर्णिमा तिथि
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 4 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 14 मिनट से सुबह 06 बजकर 06 मिनट
- अभिजित मुहूर्त: कोई नहीं
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 58 से शाम 06 बजकर 24 मिनट तक
- अमृत काल: दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से दोपहर 01 बजकर 58 मिनट तक
- भगवान दत्त की पूजा विधि मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठे, सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त से पहले जहां पूजा करनी है
- पूजा स्थान को साफ कर वहां एक लकड़ी का पाटा रखें।
- शुभ मुहूर्त शुरू होने पर इस पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर इस पर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान दत्तात्रेय को फूल और माला अर्पित करें।
- इसके बाद शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- अब गुलाल, अबीर, चंदन, जनेऊ आदि चीजें एक-एक करके भगवान दत्तात्रेय को अर्पित करें।
- विधि-विधान से आरती करें और अपनी इच्छा के अनुसार भगवान को भोग लगाएं।
- संभव हो तो पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन, अनाज, वस्त्र आदि का दान करें।
दत्तात्रेय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से करें।मंत्र- ऊं द्रां दत्तात्रेयाय नम:
ॐ श्री गुरुदेव दत्त
इसके अलावा इस दिन दत्तात्रेय स्तोत्र, अवधूत गीता के श्लोक, गुरु स्तुति, श्री दत्त चालीसा का पाठ भी शुभ माना जाता है।
