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अंग दान के मामले में तमिलनाडु बना देश का मॉडल राज्य


इंसान की मृत्यु के बाद सब कुछ खत्म हो जाता है, लेकिन अंग दान ऐसा माध्यम है, जिससे कोई व्यक्ति मरने के बाद भी कई लोगों के जीवन में जिंदा रह सकता है. सरकार, सामाजिक संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं लगातार लोगों को अंग दान के प्रति जागरूक कर रही हैं. इसका असर अब साफ दिखाई देने लगा है. देशभर में अंग दान करने वालों की संख्या बढ़ रही है और इस मामले में तमिलनाडु एक मिसाल बनकर उभरा है.

पिछले कुछ सालों में तमिलनाडु में मृत्यु के बाद अंग दान करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. खास बात यह है कि इस बढ़ोतरी के पीछे मृतक के परिवार और रिश्तेदारों की समझ और सहमति सबसे बड़ा कारण रही है.

तमिलनाडु में 2021 में मरने वाले 60 लोगों के अंगों का दान किया गया था. इसमें 52 लोगों को दिल का दान किया गया था. 68 लोगों को फेफड़ों का दान किया गया था. 58 लोगों को लिवर का दान किया गया था. 100 लोगों को किडनी का दान किया गया था.

2022 में तमिलनाडु में मरने वाले 156 लोगों के अंगों का दान किया गया था. इसमें 85 लोगों को दिल का दान किया गया था. 98 लोगों को फेफड़ों का और 142 लोगों को लिवर का दान किया गया था. 276 लोगों को किडनी का दान किया गया था. तमिलनाडु में 2023 में मरने वाले 178 लोगों के अंगों का दान किया गया था. इसमें 70 दिल, 110 फेफड़े, 142 लिवर और 313 किडनी का दान किया गया था.

पिछले 2024 में तमिलनाडु में मरने वाले 268 लोगों के अंगों का दान किया गया था. इसमें 96 लोगों को दिल, 89 लोगों को फेफड़े, 210 लोगों को लिवर का दान किया गया था. 456 लोगों को किडनी का दान किया गया था. चालू 2025 में तमिलनाडु में मरने वाले 240 लोगों के अंगों का दान किया गया था. 65 लोगों को दिल, 86 लोगों को फेफड़े, 201 लोगों को लिवर और 409 लोगों को किडनी लगाई गई थी.

हालांकि कुल अंग दान की संख्या बढ़ी है, लेकिन दिल और फेफड़ों के दान में गिरावट देखी गई है. दिल दान का प्रतिशत 2021 में 86.67% था, जो 2025 में घटकर 27.08% रह गया. इसी तरह फेफड़ों का दान 2021 में 56.67% था, जो 2025 में 17.91% हो गया.

लिवर और किडनी दान के आंकड़े अपेक्षाकृत बेहतर हैं. 2021 में किडनी दान 83.34% था, जो 2025 में बढ़कर 85.21% हो गया. लिवर दान भी 2021 के 96.67% से 2025 में 83.75% पर बना हुआ है. ये आंकड़े बताते हैं कि तमिलनाडु में अंग दान को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन दिल और फेफड़ों जैसे अहम अंगों के दान को लेकर अभी और समझ फैलाने की जरूरत है. यदि लोग आगे आएं और अंग दान को जीवनदान का माध्यम मानें तो हजारों मरीजों को नई जिंदगी मिल सकती है.

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