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लखनऊः नियम को ताक पर रखने वाली शराब की दुकानों पर आबकारी निरीक्षकों का खुला समर्थन! शिकायतकर्ता शिकायत करता रहे, कार्यवाही आबकारी निरीक्षक के मन पर निर्भर


लखनऊ। राजधानी लखनऊ में शराब की दुकानें आजकल नियम के विरुद्ध चलने में बिल्कुल भी हिचक नहीं रहीं। इसका मुख्य कारण यही है की कुछ आबकारी निरीक्षकों के संरक्षण व मिली भगत से शराब की दुकानों को अपने मनमाने ढंग से चलने में कोई भी विपदा नहीं आती। भले ही शिकायतकर्ता कितनी भी शिकायत कर ले, पर कार्यवाही आपकारी निरीक्षक के मन के मुताबिक ही होगी या होगी भी नहीं...!

गोमती नगर, विभूति खंड, चिनहट जैसे क्षेत्रों में शराब की दुकानें नियम के विरुद्ध व मानक के खिलाफ चलने में अमादा हो रही हैं। इसमें आबकारी निरीक्षक की भूमिका साफ झलकती है। कहीं शराब के दुकान टीन के डिब्बे में संचालित हो रही है, तो कहीं रात 10 बजे के बाद और सुबह 10 बजे से पहले शराब की बिक्री हो रही है। यहां तक एक्स्ट्रा टाइम पर एक्स्ट्रा पैसे वाला नियम जरूर लागू रहता है। यानी अपने निर्धारित मूल से ऊपर दामों पर बेचते हैं। 

शराब की दुकानों द्वारा रात 10 बजे के बाद, शराब की बिक्री और बढ़ते दाम पर बेचने का मतलब है कि आबकारी निरीक्षक का पूरा सहयोग प्राप्त है। अगर वह बढ़ते दाम पर बेच रहे हैं, इसका मतलब है कि उसके कई हिस्सेदार हैं। तो सवाल उठता है आबकारी विभाग ने नियम बनाया ही क्यों है...?

आबकारी विभाग द्वारा नियम बनाए गए हैं ताकि शराब की दुकानें प्रशासन व आबकारी विभाग के मुताबिक चलें। यहां तक प्रशासन के आदेशों और आबकारी आयुक्त के निर्देशों की खुली धज्जियां उड़ाने में आबकारी निरीक्षकों की बड़ी भूमिका सामने आती है। यदि कोई शराब की दुकान नियम व मानकों के विपरीत चल रहा है, तो आबकारी निरीक्षक द्वारा कार्यवाही तत्काल होनी चाहिए, पर ऐसा राजधानी में होता नहीं। खास तौर पर गोमती नगर, विभूति खंड और चिनहट क्षेत्र में तो बिल्कुल भी नहीं। राजधानी के बाकी हिस्सों में भी कई ऐसे मामले आते हैं, जिसपर आबकारी निरीक्षकों द्वारा सख्ती से पेश आने की बात भी सामने आ रही है... 

यहां तक जिला आबकारी अधिकारी को भी सूचना कई बार प्राप्त हुई, कि शराब की दुकानें व नाइट क्लबध्बार अपने मनमाने रवैया के मुताबिक शराब की बिक्री कर रहे हैं, पर बावजूद इसके जिला आबकारी अधिकारी हमेशा से आबकारी निरीक्षकों का हवाला देते हुए मामले को टालने में काफी दिलचस्पी रखते हैं। इसी का नतीजा है कि आबकारी निरीक्षक भी अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों को बखूबी उल्लंघन करने में बिल्कुल भी हिचकते नहीं, कार्यवाही तो दूर की बात है। यदि अगर शिकायतकर्ता किसी दुकान की बार-बार शिकायत कर गया हो, तो उसकी जान पर भी बन आती है।

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